Friday, November 22, 2024

बजट सत्र से पहले बड़ा फैसला,’विपक्षी सांसदों का निलंबन होगा वापस’

नयी दिल्ली। संसद के बजट सत्र में संसद में अनुकूल माहौल बनाने के लिए सरकार ने पिछले सत्र में निलम्बित सांसदों का निलंबन वापस लेने का प्रस्ताव किया है और दोनों सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने में सहयोग की अपेक्षा की है।

बुधवार से शुरु हो संसद के संक्षिप्त बजट सत्र से पहले मंगलवार को यहां हुई सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने सांसदों का निलम्बन वापस लेने के बारे में लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा के सभापति से बात की है। उन्होंने कहा कि बैठक में कुल 30 दलों के 45 नेताओं ने हिस्सा लिया और सभी ने अनुकूल माहौल में अपनी बातें रखी। बैठक में सरकार ने सांसदों से आग्रह किया है कि यह 17वीं लोकसभा का आखिरी और बहुत छोटा सत्र हैं। सत्र में संसद का काम पूरा हो सके इसलिए सौहार्दपूर्ण माहौल में संसद चलाने और सदन में तख्तियां लेकर नहीं आएं।”

 

सांसदों को पिछले सत्र में निलम्बित किए जाने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा, “सभी निलंबित सांसदों का निलंबन वापस लिया जाएगा। संसदीय कार्यमंत्री होने के नाते खुद मैंने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से इस बारे में बात कर निलम्बन वापस लेने का अनुरोध किया है।”

 

उन्होंने कहा कि सांसदों के निलम्बन का मामला लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति का अधिकार क्षेत्र है। निलम्बित सांसदों का मामला विशेषाधिकार समितियों के पास है, इसलिए हमने उन दोनों से अनुरोध किया है कि वे संबंधित विशेषाधिकार प्राप्त समितियों से बात कर सांसदों का निलंबन रद्द करें।

 

जोशी ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सरकार के अनुरोध पर सहमति व्यक्त की है। उनका कहना था कि उनके आग्रह को दोनों ने मान लिया है और उन्हें उम्मीद है कि सभी निलम्बित सांसद बुधवार को सदन की कार्यवाही में भाग ले सकेंगे।

 

इस बीच लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक के. सुरेश ने कहा, “अंतरिम बजट सत्र से पहले सर्वदीलय बैठक में हमने आज कई मुद्दे उठाए हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि सरकार डरती है और विपक्ष का सामना नहीं करना चाहती है और विपक्ष को अस्थिर करने का काम करती है। सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं के खिलाफ हथियार के रूप में किया जा रहा है।”

 

कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा, “मैंने आर्थिक स्थिति, संघीय ढांचे, असम में राहुल गांधी की न्याय यात्रा पर हिंसक हमलों, किसानों की आय, ईडी-सीबीआई के छापे, जाति जनगणना सहित कई मुद्दों को उठाया है। सरकार लोकतंत्र में विश्वास नहीं करती है। वे चुनाव प्रक्रिया को बदलना चाहते हैं इसलिए जनता को अपने अधिकारों का प्रयोग कर मोदी सरकार को उखाड़ फेंकना चाहिए।”

 

बैठक के बाद लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ”हमने 150 सांसदों के निलंबन का मुद्दा सर्वदलीय बैठक में उठाया लेकिन सरकार का रवैया किसी भी मुद्दे पर सकारात्मक नहीं लग रहा है।”

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