धर्मशाला, राज्यसभा सांसद डा. सिकंदर कुमार ने कहा कि वर्ष 2023-2024 के केंद्रीय बजट में ग्रामीण क्षेत्रों के स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए यूनिटी मॉल्स खोले जाने की योजना से हिमाचल जैसे राज्य में पैदा होने वाले विशिष्ट उत्पादों की बिक्री और उत्पादन को बल मिलेगा। ग्रामीण स्तर पर रोजगार के साधन उत्पन्न होने के साथ ही पर्यटकों को विशुद्ध हिमाचली उत्पाद एक छत के नीचे उचित मूल्य पर मिल सकेंगे जिससे उत्पादकों को सीधे लाभ मिलेगा और मार्किट से बिचैलिये खत्म हो जायेंगे।
दिल्ली में बसे हिमाचलियों के साथ वीरवार को ‘हिमाचल और केंद्रीय बजट 2023-24’ विषय पर आधारित बजट परिचर्चा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यूनिटी मॉल्स की स्थापना से कांगड़ा चाय, गुच्छी, पश्मीना, ऊनी उत्पादों, शहद, औषधीय उत्पादों और हर्बल उत्पादों को घर द्वार पर बेचा जा सकेगा और मार्किट ढूंढ़ने की किल्लत खत्म हो जाएगी। वहीं उपभोक्ताओं को भी विशुद्ध प्रमाणिक उत्पाद सही दामों पर उपलब्ध होंगे।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि मिल्लेटस को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू की जा रही योजना से राज्य के कांगड़ा, चम्बा और शिमला आदि जिलों में सदियों से पैदा किये जा रहे लाल चावल, बाजरा, ज्वार आदि मिल्लेट्स की खेती को प्रोत्साहन के साथ ही इसकी बिक्री में भी मदद मिलेगी जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी।
उन्होंने कहा कि हवाई कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने के लिए 50 अतिरिक्त हवाई अड्डों में ढांचागत विकास की योजना से हिमाचल जैसे पर्वतीय राज्य को नए वायु मार्ग से जोड़ने में मदद मिलेगी तथा कांगड़ा, भून्तर और शिमला हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण और विस्तार की राह खुलेगी जिससे राज्य में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी।
डा. सिकंदर कुमार ने कहा कि बजट में राज्य सरकारों को ढांचागत विकास के अंतर्गत ब्याज मुक्त ऋण के प्रावधान को एक और साल बढ़ाने से हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के सुदूर पिछड़े और जनजातीय क्षेत्रों में सड़कों के जाल को बिछाने में मदद मिलेगी जिससे आर्थिक सम्पनता के नए युग का सूत्रपाप्त होगा। उन्होंने कहा की बजट में राज्य सरकारों को 15 साल पुराने वाहन एम्बुलेंस बदलने में मदद प्रदान करने की योजना से राज्य में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने और वाहनों पर सरकारी खर्च को कम करने में मदद मिलेगी जिससे राज्य सरकार विकास के लिए अतिरिक्त धन जुटा पायेगी।
आगामी तीन सालों में प्राकृतिक खेती के अन्तर्गत एक करोड़ किसानों को प्रशिक्षण व तकनीकी मदद प्रदान करने और बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर स्थापित करने से राज्य में प्रकृतिक खेती के प्रयासों को बल मिलेगा और खेती में रसायनिक खाद व स्प्रे आदि के उपयोग को रोका जा सकेगा जिससे पौष्टिक खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आमदनी दुगनी करने में मदद मिलेगी।