जोधपुर। यौन शोषण के दोष में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आसाराम को सोमवार को फर्जी दस्तावेज प्रकरण में राजस्थान हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। मगर उम्र कैद की सजा काट रहा आसाराम जेल से बाहर नहीं आ पाएगा।
न्यायमूर्ति कुलदीप माथुर ने इस मामले में सुनवाई करते हुए जमानत के आदेश दिए। अधिवक्ता नीलकमल बोहरा व गोकुलेश बोहरा ने आसाराम का पक्ष रखा था।
क्या था मामला
उल्लेखनीय है कि साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट में आसाराम की ओर से जोधपुर सेंट्रल जेल की डिस्पेंसरी का मेडिकल प्रमाणपत्र पेश किया था, जिसमें आसाराम की कई गंभीर बीमारियों का जिक्र किया गया था। इस सर्टिफिकेट की सुप्रीम कोर्ट ने जांच करवाई तो मामला फर्जी निकला। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जोधपुर के रातानाडा थाने में आसाराम के पैरोकार रवि राय पर एफआईआर दर्ज हुई और मामले में आसाराम को भी आरोपी बनाया गया।
इस मामले में आसाराम को 18 जनवरी को सीजेएम मेट्रो कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में आसाराम को आरोप सुनाए गए। इसके बाद आसाराम के वकील ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दी। उसी याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई, जिसमें जमानत मिल गई।