Sunday, February 9, 2025

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर कांग्रेस के दावे का भाजपा ने किया खंडन, निर्यात से लेकर नौकरियों के अवसर बढ़े

नई दिल्ली। मैन्युफैक्चरिंग पर कांग्रेस के दावों का खंडन करते हुए भाजपा ने कहा कि 2009 से 2014 के बीच देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की औसत वृद्धि दर मात्र 5.6 प्रतिशत थी। 2013-14 में यह 2012-13 के मुकाबले नकारात्मक 0.7 प्रतिशत थी। कांग्रेस के दावों का खंडन करने के लिए भाजपा द्वारा जारी फैक्टशीट में कहा गया कि कोरोना के बाद से देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना हुआ है। कांग्रेस ने दावा किया था कि 2013-14 से मैन्युफैक्चरिंग की वृद्धि दर औसतन केवल 5.8 प्रतिशत रही है, जबकि एनडीए ने 12-14 प्रतिशत की वृद्धि दर का लक्ष्य रखा था।

भाजपा फैक्टशीट के मुताबिक, “वर्ष 2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी एक वर्ष में 15.7 प्रतिशत से घटकर 15.2 प्रतिशत हो गई थी और उसके बाद वर्ष 2013-14 में और घटकर 14.9 प्रतिशत पर आ गई थी।” प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के कारण देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश बढ़ा है और 165.1 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश आया है, जो कि यूपीए के शासनकाल के दशक में आए एफडीआई निवेश से 69 प्रतिशत अधिक है। भाजपा ने आगे कहा कि दिसंबर 2024 में ही भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 3.58 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। एप्पल ने 2024 में 12.8 बिलियन डॉलर के आईफोन निर्यात किए हैं, जो देश की मैन्युफैक्चरिंग में तरक्की को दिखाता है। भाजपा ने बताया कि मौजूदा समय में देश में बिकने वाले 99.2 प्रतिशत मोबाइल फोन घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चर किए जा रहे हैं। वार्षिक प्रोडक्शन 325-330 मिलियन यूनिट्स पर पहुंच गया है।

पीएलआई स्कीम देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए गेम-चेंजर साबित हुई है। 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 14 प्रमुख सेक्टरों के लिए लाई गई पीएलआई योजना से मैन्युफैक्चरिंग विकास को बढ़ावा दे रही है। पीएलआई योजना के तहत दूरसंचार उपकरण की बिक्री 50,000 करोड़ रुपये को पार कर गई है। भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई फरवरी 2024 में 16 साल के उच्चतम स्तर 59 अंक के स्तर को पार कर गया, जो यूपीए के तहत लगातार संकुचन के विपरीत, स्थिर विस्तार की पुष्टि करता है। भाजपा ने कहा कि एनडीए में मजबूत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने कोविड की चुनौतियों को सफलतापूर्वक पार किया और आगे भी बढ़ा। 2018-19 (महामारी से पहले के स्तर) की तुलना में 2022-23 तक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 22 लाख अतिरिक्त नौकरियां पैदा हुई हैं।

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