Monday, December 23, 2024

एमसीडी में 15 साल में किए भ्रष्टाचार उजागर होने के डर से मेयर नहीं बनने दे रही भाजपा : संजीव झा

नई दिल्ली| आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक संजीव झा ने मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 15 साल में एमसीडी में जो भ्रष्टाचार किया है, वह सबके सामने आ जाएगा, इसलिए वह बाधाएं डालकर मेयर का चुनाव नहीं होने दे रही है। एमसीडी सदन में सोमवार को एमसीडी सदन में उस समय हंगामा हो गया, जब भाजपा पार्षदों ने आरोप लगाया कि संजीव पर भ्रष्टाचार का केस है। पीठासीन अधिकारी ने संजीव झा और अखिलेश पति त्रिपाठी को सदन से बाहर जाने को कहा था।

आप विधायक संजीव झा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि भाजपा बहाने बना रही है। तीन बार से जिस तरह एमसीडी सदन की कार्यवाही स्थगित की गई। उससे यह साफ जाहिर है कि ये लोग मेयर नहीं बनना देना चाहते। मैं इस हाउस का सदस्य हूं। और इस हाउस का प्रवेशपत्र मुझे एमसीडी ने ही निर्गत किया है। एक सदस्य ने गलत बात कही, जिस पर पीठासीन अधिकारी ने हमें बाहर जाने को कहा।

झा ने कहा, “पहली बात तो यह है कि एमसीडी सदन के अंदर हम पर आरोप लगाया गया कि हमारे ऊपर भ्रष्टाचार का केस है और हमें बाहर जाने को कहा गया। हम भाजपा के लोगों की तरह नहीं हैं। एक बच्ची के अपहरण के केस में एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही थी तो हमने पुलिस से कहा कि एफआईआर करो तो पुलिस ने मुझसे कहा कि आप सरकारी कार्य में हम बाधा डाल रहे हैं और उकसा रहे हैं। उलटे मुझ पर केस किया गया, इस केस में मुझे 4 से 3 महीने की सजा हुई, उसको मैंने सेशन कोर्ट में चैलेंज किया। सेशन कोर्ट में चैलेंज करने के बाद सजा को सस्पेंड कर दिया गया।”

उन्होंने कहा, “इसका मतलब है कि भाजपा की जो पदाधिकारी हैं, वह ना केवल सदन कि गरिमा का, बल्कि चेयर का भी दुरुपयोग कर रही हैं। मुझे लगता है कि यह सदन की गरिमा और परंपरा के खिलाफ है। अगर आप कानून नहीं मानेंगे, संविधान नहीं मानेंगे तो देश कैसे चलेगा। मुझे लगता है कि एक प्रकार से अराजकता फैलाने की कोशिश की जा रही है।”

संजीव झा ने कहा कि बहुत सारे ऐसे कैसे हैं, जिसमें 15-15 साल की सजा है। कई लोगों पर केस चल रहे हैं और वे लोग मेंबर ऑफ हाउस हैं, मेंबर ऑफ पार्लिमेंट हैं, विधायक हैं। उन्होंने कहा, “हमारा पूरा अधिकार है कि न्याय के लिए हम लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएं। जब तक फैसला नहीं आ जाता और सजा जब तक सजा नहीं सुनाई जाती, तब तक आप किसी को दोषी नहीं मान सकते। अगर ऐसा ही होता तो सेशन कोर्ट क्यों बना, हाईकोर्ट क्यों बना, सुप्रीम कोर्ट क्यों बना। मुझे लगता है कि जो जजमेंट आया है, उसके खिलाफ चैलेंज करने का मेरा पूरा अधिकार है। कोर्ट ने उस चैलेंज को स्वीकार किया है, ऑर्डर को सस्पेंड किया है। ये सब चीजें पीठासीन अधिकारी नहीं तय कर सकतीं, चेयर ने जो किया है, वह एमसीडी सदन की गरिमा की हत्या की है।”

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