लखनऊ- उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीट जीतने के लक्ष्य में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने आने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीति अभी से बनाना शुरू कर दी है, जिसके तहत अब पार्टी की नज़र मुस्लिमों में भी बड़ी घुसपैठ बनाने की है। पार्टी अब मुस्लिमो को जाट, गुर्जर, राजपूत, त्यागी होने की याद दिलाकर उन्हें अपने साथ जोड़ने का प्रयास करेगी जिसके तहत मुज़फ्फरनगर से शुरुआत करेगी।
उत्तर प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने मंगलवार को बताया कि सम्मेलनों की शुरुआत मुजफ्फरनगर से की जाएगी. ये वही जगह है, जहां साल 2013 में भड़के हिंदू-मुस्लिम दंगों में कई दर्जन लोगों की जान चली गई थी और एक ही जाति से ताल्लुक रखने वाले हिंदू और मुसलमान एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए थे।
बासित अली ने कहा, “पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जाट, मुस्लिम राजपूत, मुस्लिम गुर्जर और मुस्लिम त्यागी बिरादरियों के मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद है, वहां के लगभग हर लोकसभा क्षेत्रों में इनकी औसतन ढाई लाख आबादी है.” अली ने कहा, “पार्टी विभिन्न जिलों में ‘स्नेह मिलन : एक देश, एक डीएनए सम्मेलन’ आयोजित करके इन मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेगी, इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर लोकसभा क्षेत्रों के चुनावी समीकरणों पर असर पड़ेगा.”
बासित अली के मुताबिक, “स्नेह मिलन’ सम्मेलन में जाट, राजपूत, गुर्जर और त्यागी समुदाय के हिंदू नेता मंच पर होंगे, जिनमें मुख्य रूप से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, मुजफ्फरनगर से सांसद संजीव बालियान और प्रदेश के राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर शामिल होंगे.’’ उन्होंने बताया कि ’स्नेह मिलन सम्मेलन’ के आयोजन का मकसद हिंदू और मुस्लिम जाट, राजपूत, गुर्जर और त्यागी बिरादरियों के बीच स्नेहपूर्ण संबंध स्थापित करना है. इन सम्मेलनों के जरिये इन समुदायों को यह समझाने की कोशिश की जाएगी कि हम सभी एक हैं, एक ही जगह पैदा हुए हैं, सबका डीएनए एक है और हमें मिलकर देश को आगे ले जाना है.”
अली ने कहा, “पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जाट, मुस्लिम राजपूत, मुस्लिम गुर्जर और मुस्लिम त्यागी बिरादरियां हिंदू समाज की इन्हीं जातियों के लोगों के साथ भाई-भाई का रवैया रखती हैं. उनमें हिंदू और मुसलमान का फर्क नहीं है। बैठकें, पंचायतें और समाज की दावतें वगैरह सब बिरादरी के आधार पर ही तय होती हैं, इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने इन सम्मेलनों के आयोजन का फैसला किया है.”
उन्होंने कहा, “हमारा डीएनए एक है. इसी बुनियाद पर हम जाट, राजपूत, गुर्जर और त्यागी बिरादरियों के हिंदू नेताओं को इन सम्मेलनों के दौरान मंच पर बुलाकर एक रिश्ता कायम करने की कोशिश करेंगे।