देहरादून- उत्तराखंड पुलिस के एक भ्रष्ट आरक्षी (कांस्टेबल) को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किए जाने के लगभग 15 वर्ष बाद मंगलवार को न्यायालय ने 13 वर्ष की साश्रम कारावास के साथ पचास हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।
राज्य पुलिस के सतर्कता विभाग (विजिलेंस) के प्रवक्ता ने बताया कि हरिद्वार निवासी शिकायतकर्ता वरुण अग्रवाल, निवासी गायत्री बिहार, जनपद हरिद्वार ने एक मार्च 2008 को एक शिकायती प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक, सतर्कता सेक्टर, देहरादून को दिया था। उन्होंने शिकायत की कि वह ट्रैक्टर से जनपद हरिद्वार में रेत बजरी व ईंट की सप्लाई का काम करता है। इसके अलावा कभी-कभी ग्राहक की मांग पर सीमेन्ट की सप्लाई का काम करते है।
पिछले कुछ दिनों से उत्तराखण्ड पुलिस में एस.टी.एफ. देहरादून में नियुक्त कान्स. 410, नागेशपाल द्वारा उससे यह कहकर 10,000 रुपये रिश्वत की मांग की जा रही है कि यदि रिश्वत नहीं दी तो मिलावटी सीमेंट तथा अवैध रेत, बजरी सप्लाई करने के लिए उसे बंद करा देगा। वह सीमेन्ट मे मिलावट या अन्य कोई गलत काम नहीं करता है, फिर भी धन्धे की मजबूरी समझ कर कान्स० नागेशपाल के दवाब से परेशान होकर उसके कहे अनुसार 10000 रुपये रिश्वत में देने की बात मान ली है।
वह रिश्वत नहीं देना चाहता था, बल्कि ऐसे भ्रष्ट कर्मचारी को रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था। शिकायत पर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करते हुए विजिलेंस की ट्रैप टीम द्वारा चार मार्च 2008 को अभियुक्त कान्स नागेशपाल को शिकायतकर्ता से 10,000 रुपये रिश्वत लेते हुए हरिद्वार में समसरोवर रोड वैष्णव देवी मन्दिर के सामने से रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया।
इस मामले में पंद्रह साल बाद संबंधित अभियोजन और विवेचकों की कार्यकुशलता से आज अपर जिला सत्र न्यायाधीश, सप्तम, विशेष न्यायालय, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, अंजली नौलियाल द्वारा अपना निर्णय सुनाया गया। उन्होंने अभियुक्त आरक्षी को धारा 7 के आरोप में 13 साल का सश्रम कारावास व 50 हजार का अर्थदण्ड से दण्डित किया है।
अर्थदण्ड अदा न करने पर एक माह का अतिरक्त साधारण कारावास तथा धारा13 (1) डी सपठित धारा-13 (2) भ्र0नि0अधिनियम 1988 में 05 साल का सश्रम कारावास व 20 हजार का अर्थदण्ड से दण्डित किया जाएगा। अर्थदण्ड अदा न करने पर दोषसिद्धि एक माह का अतिरक्त साधारण कारावास से दण्डित किया जाएगा।