लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बांदा जिला सहकारी बैंक द्वारा ऋणदाताओं की सूची तैयार करने के आदेश को निरस्त किये जाने के निर्णय को शिक्षकों की जीत करार देते हुये कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में भाजपा राज की नाइंसाफ़ी की एक और ‘आर्थिक-सामाजिक-मानसिक’ मार एकता की शक्ति के आगे हार गयी है।
यादव ने एक्स पर पोस्ट किया “ 69000 शिक्षक भर्ती कोर्ट से निरस्त होते ही बांदा डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक ने भर्ती हुए शिक्षकों से, बैंक से लिए गए किसी भी प्रकार के ऋण की वसूली का फ़रमान जारी करा और आगे भी किसी भी प्रकार के लोन का रास्ता बंद करने की साज़िश रची परंतु युवाओं के आक्रोश के आगे ये फ़रमान एक दिन भी टिक नहीं पाया और भाजपा सरकार को इसे भी रद्द करने का आदेश निकालना पड़ गया।”
उन्होने कहा “ याद रहे उप्र की भाजपा सरकार ये काम मन से नहीं दबाव से कर रही है, इसीलिए इस आदेश को पूरी तरह रद्द नहीं बल्कि कुछ समय के लिए स्थगित मानकर इसका भरपूर विरोध जारी रखना चाहिए। वैसे तात्कालिक रूप से ये युवा विरोधी भाजपा के विरूद्ध युवा-शक्ति की एकता की जीत है।”
सपा प्रमुख ने कहा “ जिन भर्ती हुए शिक्षकों ने अपने घर-परिवार और बाक़ी सामान के लिए नौकरी की निरंतरता की उम्मीद पर कुछ लोन लिया था तो क्या अब ये सरकार उनके घरों और सामानों को क़ब्ज़े में लेने की साज़िश कर रही है। ये निहायत शर्मनाक कृत्य है कि भाजपा परिवारों को दुख-दर्द देकर सत्ता की धौंस दिखाना चाहती है।”
उन्होने कहा कि शिक्षक भर्ती में उप्र की भाजपा सरकार की बदनीयत की जिस तरह फ़ज़ीहत हुई है, शायद उसका बदला वो अभ्यर्थियों से लेना चाहती थी। तभी ऐसे फ़रमान निकलवा रही है। इससे पहले से ही नौकरी खोने के डर से डरे हुए शिक्षकों पर अत्यधिक मानसिक दबाव बढ़ेगा। जब इन लोन की वसूली के लिए बैंक उनके घरों पर जाएगा तो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुँचेगी। इसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम निकलेंगे क्योंकि आर्थिक-सामाजिक-मानसिक रूप से प्रभावित शिक्षक का असर शिक्षण पर भी पड़ेगा, जिससे प्रदेश के बच्चों की शिक्षा और उनका भविष्य भी प्रभावित होगा। इसका एक गहरा आघात भर्ती हुए उन शिक्षकों के जीवन पर भी पड़ेगा, जिन्होंने विवाह करके अपना नया-नया वैवाहिक जीवन शुरू किया था और अपने परिवार को पालन-पोषण इसी नौकरी के आधार पर कर रहे थे। वैवाहिक जीवन की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ परिवार वाले ही जानते हैं।
यादव ने तंज कसते हुये कहा कि जनता और परिवारवालों को दुख देकर न जाने भाजपा को क्या सुख मिलता है।
गौरतलब है कि बीती 16 अगस्त को उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती मामले में फैसला सुनाते हुए सूची को निरस्त कर दिया था और तीन माह के अंदर नई सूची जारी करने के आदेश दिया था। हाइकोर्ट के आदेश के बाद बांदा जिला सहकारी बैंक के सचिव मुख्य कार्यपालक अधिकारी जगदीश चंद्रा ने बांदा-चित्रकूट के सभी शाखा प्रबंधकों को स्पष्ट आदेश जारी किया कि भर्ती मामले से संबंधित सहायक अध्यापकों को स्वीकृत किसी भी प्रकार के ऋण की शत प्रतिशत वसूली सुनिश्चित कराई जाए और शिक्षकों की भर्ती को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने तक किसी भी तरह का ऋण, परसनल लोन या ओडी लिमिट आदि का भुगतान न किया जाए। हालांकि बैंक के इस आदेश के जारी होने के 24 घंटे के भीतर 20 अगस्त को आदेश को निरस्त करने की घोषणा कर दी है।