Thursday, May 8, 2025

तीन वर्षाें में सभी जिलाें में होगा कैंसर डे केयर सेंटर – नड्डा

नयी दिल्ली। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि अगले तीन वर्षाें में देश के सभी जिलों में कैंसर डे केयर सेंटर शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है और इस वर्ष दो सौ जिलाें में यह सेंटर शुरू किया जा रहा है।

नड्डा ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी देते हुये कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में कैंसर डे केयर सेंटर बनाने की घोषणा की गयी है और इसके लिए बटजीय प्रावधान भी किये गये हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की बात है तो राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के तहत गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है। इसके तहत कई तरह की सुविधायें उपलब्ध करायी जा रही है। अस्पतालों को अपनी जरूरतों के अनुसार योजना बनाने की सुविधा दी गयी है और उसके अनुरूप टेक्नीकल और वित्तीय मदद दी जाती है।

उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना से कैंसर जैसी घातक बीमारियों के उपचार में मदद मिली है। अभी कैंसर का पता चलने पर 30 दिनों के भीतर ही उपचार शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में झज्जर के एम्स में 700 बिस्तरों का कैंसर केयर सेंटर बनाया गया है।

 

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के गोरखपुर में एक्स खोला गया है और बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में स्थित मेडिकल कॉलेज को एम्स नहीं बनाया जा सकता है क्योंकि यूनिवर्सिटी के भीतर इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है। हांलाकि यूनिवर्सिटी के साथ एक करार किया गया है और वहां स्थित मेडिकल कॉलेज को एम्स की तरह बनाया जा रहा है।

नड्डा ने एक अन्य पूरक प्रश्न पर कहा कि आशा कार्यकर्ता बेहतर काम कर रहे हैं। उनके प्रयास से जच्चा-बच्चा मृत्यु दर में कमी आयी है। केरल सरकार का जहां तक सवाल है तो उपयोग प्रमाणपत्र नहीं मिलने के कारण आशा कार्यकताओं से जुड़ा मानदेय जारी नहीं हो पाया है, लेकिन केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी का अंश जारी किया जा रहा है।

एक अन्य पूरक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सहित किसी भी राज्य का आयुष्मान योजना के तहत बकाया नहीं है। सभी राज्यों को योजना के तहत धनराशि दी जा रही है।

डाॅक्टर की भर्ती निर्धारित समयावधि में करने के बारे में पूछे जाने पर नड्डा ने कहा कि पैसे की कोई कमी नहीं है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में डाॅक्टर रखने के लिए लचीला रूख अपनाया गया है। राज्यों की क्षमता निर्माण में मदद किया जा रहा है।

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