देहरादून। उत्तराखंड में बढ़ रहे डमी छात्रों के नामांकन के चलन पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) सख्त हो गया है। स्कूल में कितने नामांकन हुए 12वीं परीक्षा के लिए, कितने रजिस्ट्रेशन हुए व परीक्षा फार्म कितने छात्रों ने भरे, इसकी भी बोर्ड गहनता से जांच करेगा। बोर्ड साल में कई बार नामांकन डेटा एनालाइज करेगा। स्कूलों को आनलाइन पोर्टल पर शिक्षकों के साथ छात्रों की संख्या अपडेट कर दर्शानी होगी। 11वीं में नामांकन के बाद 12वीं की परीक्षा फार्म भरने के बीच बोर्ड की ओर से तीन बार जांच होगी।
सीबीएसई ने स्कूलों के प्रबंधकों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। सीबीएसई देहरादून रीजन के अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान शैक्षिक सत्र में देखने में आया कि कुछ कोचिंग संस्थान अपनी वेबसाइट पर देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर, नैनीताल आदि बड़े शहरों के स्कूलों के नाम शैक्षिक टाइअप व डमी प्रवेश देने की स्पष्ट पुष्टि करते हैं। व्यक्तिगत हित के लिए इस तरह की व्यवस्था नियम विरुद्ध है। स्कूलों को स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि यदि छात्रसंख्या निचली कक्षा के अनुपात में नहीं होगी तो किसी भी तरह से प्री प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यदि कोई स्कूल विशेष रूप से 11वीं कक्षा में पंजीकरण के लिए गैर मान्यता संस्थान अथवा कोचिंग संस्थान के छात्रों को नान अटेंडिंग व डमी रूप से जोड़ने का प्रयास करता है तो स्कूल के इस नियम विरुद्ध कार्य के लिए खुद जिम्मेदार रहेगा। पहले ही मिले कई मामले सीबीएसई देहरादून रीजन के अधिकारियों के मुताबिक सत्र 2022-23 में सीनियर सेकेंडरी के लिए कुछ स्कूलों ने अनाधिकृत रूप से गैर मान्यता प्राप्त संस्थान अथवा कोचिंग के साथ साठ-गांठ कर 11वीं कक्षा में रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ाने के लिए बोर्ड को अनुरोध पत्र दिए। लेकिन यह अनुरोध तर्कसंगत नहीं रहे। देखने में आया है कि कई स्कूल निजी कोचिंग संस्थान के साथ सांठ गांठ कर छात्रों को कोचिंग के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए नई नई बाते बताते हैं। जो खुद के हित व व्यावसायिक ²ष्टिकोण से किया जाता है। कोचिंग संस्थान व गैर मान्यता प्राप्त विभिन्न संस्थान को उम्मीद्वारों को इन स्कूलों में डमी प्रवेश देकर अपनी जिम्मेदारी से बचते हैं।
सीबीएसई देहरादून के क्षेत्रीय अधिकारी डा.रणबीर सिंह ने बताया कि किसी भी स्कूल का डमी प्रवेश देना नियम विरुद्ध है। बोर्ड इस संबंध में लगातार स्कूल प्रबंधकों को जागरूक कर रहा है। यदि इस तरह के मामले सामने आते हैं तो खुद ही स्कूल जिम्मेदार होगा।
डमी प्रवेश में छात्र स्कूल में दाखिला तो लेता है लेकिन उस स्कूल में आने के बजाए बाहर जाकर किसी ट्यूशन इंस्टीट्यूट से तैयारी करता है। उसकी हाजिरी स्कूल में लगती है। इसकी एवज में अभिभावक भी स्कूल को सामान्य से अधिक फीस देते हैं।