Wednesday, December 25, 2024

योगी जी और बीजेपी का भक्त था चंदन गुप्ता, ना चौक बना, ना मिली पक्की नौकरी, बहन 5 महीने में ही नौकरी से हटा दी गयी !

कासगंज। कासगंज का दंगा तो आपको याद होगा, उस समय बीजेपी की ही सरकार थी और बीजेपी ने इस दंगे को बड़ा मुद्दा बनाया था, हर जनसभा में इस मुद्दे के जरिये खूब सांप्रदायिक ध्रुवीकरण किया था लेकिन हिंदुत्व के पोस्टर बॉय बने चंदन के परिवार को आज कोई नहीं पूछ रहा है,सब उनका मजाक बना रहे है, उसके नाम पर चौक बनाने का वायदा हुआ था, उसका भी आज तक उद्घाटन नहीं हुआ है, उलटे जो नौकरी सरकार ने उसकी बहन को दी थी,उससे भी केवल 5 महीने बाद हटा दिया गया।

भास्कर के रिपोर्टर रवि श्रीवास्तव ने इस बारे में एक ग्राउंड रिपोर्ट बनाई है, चन्दन के परिवार की वेदना सुनी है।चंदन गुप्ता की मां संगीता रोते हुए पत्रकार के सामने अपना दर्द बयां करते हुए बोली-‘वो तो योगीजी और BJP का भक्त था। 2017 में योगी जी जब मुख्यमंत्री बने, तो संतों का भंडारा किया था। उस दिन भी,26 जनवरी 2018 को खीर बनाने के लिए दूध लाया था, खीर तो बनी, लेकिन वो खाने के लिए नहीं लौटा।’

फिर कहती हैं- ‘उसके नाम पर चौक बनाने का वादा था, बना भी। 5 साल से मूर्ति लगी है, ढंकी हुई है। किसी नेता को फुर्सत नहीं कि उद्घाटन कर दें। उसकी मौत की बरसी पर हमें वहां दीया तक नहीं जलाने देते। बेटी को सरकारी नौकरी दी थी, 5 महीने बाद ही निकाल दिया। अब किसी को याद नहीं चंदन कौन था, किसके लिए मर गया?’

जानिए कौन था चन्दन गुप्ता ?

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ा चंदन गुप्ता मोदी-योगी का कट्टर समर्थक था। 26 जनवरी 2018 की सुबह 9 बजे UP के कासगंज में विश्व हिंदू परिषद, ABVP और हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता करीब 100 मोटरसाइकिलों पर तिरंगा और भगवा झंडा लेकर निकले थे। चंदन गुप्ता भी इसी भीड़ में था। प्रशासन ने यात्रा निकालने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन ये लोग नहीं माने। छोटी-छोटी गलियों वाले कासगंज कोतवाली इलाके में घुस गए। ये लोग मुस्लिम आबादी वाले बड्‌डूनगर की एक गली से गुजरने की जिद करने लगे। वहां स्थानीय लोग पहले से गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम कर रहे थे।

नारेबाजी शुरू हो गई, माहौल बिगड़ा और दोनों तरफ से पथराव शुरू हो गया। एक गोली चली, जो सीधे चंदन को लगी। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वो बच नहीं पाया। मौत की खबर फैलते ही पूरे कासगंज में दंगे शुरू हो गए। 2 मुस्लिम युवक भी बुरी तरह घायल हुए।

चंदन की मौत के बाद कासगंज में तीन दिन तक हालात इतने खराब रहे कि प्रशासन को इंटरनेट बंद करना पड़ा। मुसलमानों की दुकानें जलाने की बातें भी सामने आई थीं। ये दंगे एक हफ्ते तक चले। चंदन की हत्या के मामले में सलीम, वसीम और नसीम आरोपी हैं। अब तीनों जमानत पर बाहर हैं। चंदन के परिवार से तीन वादे किए गए थे, जिनमें से सिर्फ मुआवजे का वादा पूरा हुआ है।

योगी का समर्थक था, लेकिन हमारी कोई सुनता नहीः चंदन के पिता

चंदन की मौत को 5 साल गुजर चुके हैं। कासगंज की गलियों को अब न कोई तिरंगा यात्रा याद है और न ही चंदन गुप्ता। हर 26 जनवरी पर प्रशासनिक अलर्ट जरूर रहता है, लेकिन बाकी सब नॉर्मल है। कासगंज में नदरई गेट मोहल्ले की शिवालय वाली गली में चंदन का घर है। 5 साल पहले यहां हजारों की भीड़ थी, नेताओं का आना-जाना था, लेकिन अब ये सुनसान है।

घर का वो कमरा, जहां 27 जनवरी को चंदन का शव रखा था, अब सरकारी गल्ले की दुकान में बदल गया है। ये दुकान चंदन के बड़े भाई की है। चंदन के पिता बताते हैं- ‘वो तो उस दिन सुबह-सुबह दूध लेकर आया था। मां से बोला खीर बना देना, तिरंगा यात्रा के बाद दोस्तों के साथ लौटूंगा। फिर लौटा ही नहीं।’

चंदन की मां संगीता गुप्ता व पिता सुशील गुप्ता का आरोप है कि तिरंगा यात्रा के दौरान उनके बेटे की गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद सरकार ने परिवार के एक सदस्य को नौकरी समेत अन्य वादे तो किए थे, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया। माता-पिता का कहना है कि घटना के बाद चंदन की छोटी बहन कीर्ति गुप्ता को कासगंज ब्लाक में संविदा पर लोक मित्र की नौकरी दी गई थी, जो पांच माह बाद ही समाप्त भी कर दी गई।

ये कहते हुए उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। खुद को संभालते हुए कहते हैं- ‘चंदन तो महाराज जी (योगी आदित्यनाथ) का समर्थक था। मैं खुद 1984 से RSS से जुड़ा हूं। इस सबके बावजूद मुआवजे के अलावा कोई वादा नहीं निभाया गया।’

सुशील गुप्ता उस दिन की कहानी सुनाते हुए कहते हैं- ‘उस दिन दंगे होने की खबर जैसे ही मुझे मिली, मैंने सबसे पहले चंदन को ही फोन किया। मेरा जी घबरा रहा था, लग रहा था उसके साथ कुछ गलत हुआ है। सिर्फ एक बार घंटी बजी और उसने फोन उठा लिया। मैंने कहा कि लल्ला जल्दी आ जा। माहौल बिगड़ रहा है। पीछे से एक धमाके की आवाज आई, शायद गोली चली थी। फोन कट गया, उसकी आवाज आखिरी बार उसी दिन सुनी थी।’

सुशील गुप्ता का कहना है कि घटना के बाद सांसद राजबीर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मोबाइल पर बात कराई थी। मुख्यमंत्री से भेंट भी हुई थी। संगीता गुप्ता का कहना है कि उनके बेटे को शहीद का दर्जा मिलना चाहिए था । सरकार की ओर से उनके परिवार को 20 लाख रुपये की ही सहायता मिली है।

बताते-बताते चन्दन की माँ संगीता रोने लगती हैं, फिर बोलती हैं- ‘योगीजी CM बने तो संतों को खाना खिलाया, उन्हें नए कपड़े दिलाए थे। अब उसे याद करने वाला कोई नहीं। हम बहुत अपमानित महसूस करते हैं। ये घर कभी-कभी जेल जैसा लगता है। न तो चंदन चौक बना, न ही कोई सुनवाई हुई। जॉब की तो हम भूल ही गए।’

संगीता का दुख धीरे-धीरे गुस्से में बदल जाता है। वो बताती हैं- ‘नेताओं से मिलने जाती रही कि शायद उनका मन पसीज जाए, लेकिन ऐसा-ऐसा सुनने को मिला कि सारी उम्मीदें ही खत्म हो गईं। इंसाफ मांगने CM के जनता दरबार तक भी गई थी। वहां अफसरों ने हमें बेइज्जत किया। किसी ने हमारी बात ही नहीं सुनी, हमें जाने के लिए कह दिया।’

‘चंदन सबकी मदद करता था, अब हमारी मदद करने वाला कोई भी नहीं। समाज और सरकार दोनों चंदन को भूल चुके हैं। तीनों आरोपी भी जमानत पर बाहर आ चुके हैं। केस का ट्रायल तो शुरू हो गया है, लेकिन पता नहीं कब तक फैसला आएगा?’

संगीता शायद बोलते-बोलते थक गई हैं, चुप हो जाती हैं। चंदन के पिता सुशील बात आगे बढ़ाते हैं- ‘बेटी को सरकारी नौकरी तो मिली थी, लेकिन 5 महीने बाद उस पद को ही खत्म कर दिया गया। चंदन के नाम पर चौक बनाने का ऐलान किया गया था। सब कुछ बन गया है, लेकिन 5 साल बीत जाने के बावजूद आज तक उसका उद्घाटन नहीं हो सका। हमें उसकी बरसी पर वहां दीपक तक नहीं जलाने देते हैं। हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है, जैसे हम वहां दीपक जलाकर कोई अपराध कर रहे हों।’ ये कहते हुए सुशील की आंखें भर आती हैं।

चंदन के बड़े भाई विवेक भी तब तिरंगा यात्रा में मौजूद थे। उनके सामने ही चंदन को गोली मारी गई। विवेक कहते हैं- ‘जब चंदन को गोली लगी, मैं थोड़ा पीछे ही था। चंदन मेरे सामने ही जमीन पर गिरा। उसके केस की वजह से मुझे मार्केटिंग की जाॅब छोड़नी पड़ी। सभी कहते थे कि मुसलमानों से दुश्मनी हो गई है, अब इस तरह की जॉब नहीं कर पाओगे। मैंने नौकरी छोड़ दी। अब घर में सरकारी गल्ले की दुकान पर बैठता हूं।’

चंदन की मौत के बाद उसकी बहन कीर्ति गुप्ता को ही लोकमित्र की सरकारी नौकरी मिली थी। वे कहती हैं- ‘5 साल में सिर्फ दर-दर की ठोकरें ही मिली हैं, लेकिन अब भी उम्मीद है कि भाई को इंसाफ मिलेगा।’

चन्दन के पिता भर्राई आवाज से कहते हैं- ‘सिर्फ 5 साल में लोग चंदन को भूल गए। वो लोग भी भूल गए, जिनका वह कट्‌टर समर्थक था। उनके काम के लिए वो न दिन देखता था न रात। यही लोग अब हमारी हालत देखकर हंसते हैं।’

‘वे कहते है- मैंने उस दिन भी चंदन से कहा था कि उन गलियों में मत जाना। काश, वह मेरी बात मान लेता। मैं अब भी BJP का समर्थक हूं, परिवार भी है। इस बार भी उन्हें ही वोट दिया था, लेकिन भरोसा उठने लगा है। अब बस इतना चाहता हूं कि बेटे को न्याय मिल जाए।’

केस में जल्द आ सकता है फैसला

गुप्ता परिवार के वकील राजीव कपूर साहू बताते हैं कि कासगंज से ट्रांसफर होकर अब ये केस लखनऊ की ADJ/NIA स्पेशल कोर्ट में चल रहा है। इसमें तिरंगे के अपमान की धारा भी लगी है, इसलिए इस कोर्ट में मामला है।

राजीव बताते हैं- ‘केस ट्रायल पर आ चुका है। गवाही चल रही है। 18 मार्च की तारीख लगी है। इसमें जांच अधिकारी को पेश होना है। अभी केस में दो जिरह और बची हैं। इसके बाद बहस होगी और केस का अंतिम फैसला आ जाएगा। तीनों आरोपी अभी जमानत पर बाहर हैं।’[साभार]

 

 

 

 

 

 

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