Saturday, April 27, 2024

हुसैनपुर कलां से बुढ़ाना के लिए रवाना होंगे चंद्र प्रभु, मंदिर बंद करने पर आत्मदाह की चेतावनी देने वाले को मनाया

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बुढ़ाना। हुसैनपुर कलां गांव के श्री 1008 चंद्रप्रभु जिनालय में पूजा अर्चना सुबह से ही आरम्भ हो गई। क्षेत्र के गांव हुसैनपुर कलां के चंद्रप्रभु जिनालय में स्थापित 500 वर्ष पुरानी मूर्तियों को बुढ़ाना के मंदिर में विराजमान कराने का कार्यक्रम चल रहा है। बुधवार को गांव हुसैनपुर कलां में प्रातः: 6 बजे से जिनाभिषेक, शांतिधारा व नित्यनियम पूजा की गई। इस दौरान शांति विधान का आयोजन किया गया।

टीकमगढ़ से आए पंडित जयकुमार जैन ने मंत्रोचार कर पूजा कराई। इस मौके पर दिल्ली, नोएडा गाजियाबाद, सहारनपुर व बुढ़ाना से आए जैन समाज की महिलाएं व पुरूष श्रद्धालु मौजूद रहे। इस दौरान आयोजक महेश जैन ने बताया कि गुरुवार को पूजा अर्चना के उपरांत संपूर्ण प्रतिमाओं का समोशरण भव्य शोभायात्रा के साथ हुसैनपुर कलां से लेकर बुढ़ाना के श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में पहुंचकर नूतनवेदी में विराजमान कराया जाएगा।

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मंदिर स्थानांतरण का विरोध करने वालों को मनाया
गांव हुसैनपुर कलां के जैन मंदिर से बुढ़ाना के मंदिर में भगवान की प्रतिमाओ के स्थानांतरण का जैन समाज के कुछ लोग विरोध कर रहे थे। विरोध करने वाले एक व्यक्ति ने तो आत्मदाह की भी चेतावनी दी थी। इसके बाद पूजा अर्चना व समोशरण शोभायात्रा के कार्यो में लगे आयोजक लोगो को मनाने में जुट गए। उन्होंने विरोध कर रहे जैन समाज के लोगों को घर घर जाकर मनाया।

भव्य शोभायात्रा कर लाई जाएगी प्रतिमा
बुढ़ाना के जैन मन्दिर में लाई जा रही प्रतिमा भव्य शोभायात्रा निकालते हुए लाई जायेगी। बुधवार को जैन समाज के लोगों ने कस्बे के श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर में बैठक कर सभी को विभिन्न जिम्मेदारी सौंपी। इस दौरान बैंड बाजे व सम्पूर्ण रास्ते पर स्वागत आदि के बारे में भी जिम्मेदारी दी गई। इस दौरान कुछ रूठे लोगो को मनाने के लिए भी लोगों को जिम्मेदारी दी गई। इस दौरान प्रमोद जैन, पर्वतेश जैन, अमित जैन, रमेश जैन, महेश जैन आदि मौजूद रहे।

500 वर्ष पुराना रहा है मंदिर का इतिहास
बुढाना कस्बे से पांच किमी दूर स्थित गांव हुसैनपुर कलां में जैन समाज का लगभग 500 वर्ष पुराना श्री 1008 चंद्रप्रभु भगवान का जैन मंदिर स्थित हैं। इस मंदिर में मूलनायक चन्द्रप्रभु के साथ कुल 11 प्रतिमा मौजूद हैं। इनमें से तीन प्रतिमाएं प्राचीन है। प्रतिमाओं में मुलनायक चंद्रप्रभु भगवान,  शांतिनाथ, आदिनाथ, शीतलनाथ, पदम प्रभु, पारसनाथ, मल्लिनाथ, महावीर स्वामी, सिद्ध भगवान, चौबीसो भगवान की प्रतिमाएं है। समाज के लोगों द्वारा बताया गया भगवान की अति प्राचीन प्रतिमा हैं। जो भी श्रद्धालु सच्ची भक्ति से जो भी मांगता हैं, यहां उसकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मंदिर परिसर आज भी पुरानी शैली में बना है।

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