Thursday, May 15, 2025

मुज़फ्फरनगर में बच्चों से कराई जाती है स्कूल की सफाई, शिक्षिका व अभिभावक में हुई हाथापाई

 बुढाना (मुजफ्फरनगर)- बुधवार की सुबह मुजफ्फरनगर जिले के बुढाना क्षेत्र के फुगाना गांव का एक प्राथमिक विद्यालय अचानक चर्चा का केंद्र बन गया। विद्यालय में बच्चों से झाड़ू-पोछा लगवाने के मुद्दे पर उस समय हंगामा हो गया जब एक महिला अभिभावक और विद्यालय में तैनात शिक्षिका के बीच पहले बहस और फिर हाथापाई हो गई। यह घटना सिर्फ विद्यालय की चारदीवारी तक सीमित नहीं रही—किसी ने इसका वीडियो बना लिया, जो अब इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

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यह घटना प्राथमिक विद्यालय नंबर दो, फुगाना की है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह विद्यालय खुलने के समय कुछ छात्राओं को सफाई कार्य में लगे देखा गया। इसी दौरान एक महिला अभिभावक को जब यह बात पता चली, तो वह आक्रोशित होकर सीधे विद्यालय पहुंच गई और शिक्षिका से जवाब-तलब करने लगी। आरोप लगाया गया कि स्कूल में बच्चियों से झाड़ू-पोछा लगवाया जा रहा था, जो कि उनके आत्मसम्मान और पढ़ाई के अधिकार के खिलाफ है।

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शिक्षिका का पक्ष कुछ अलग था। उनका कहना था कि शासन स्तर से स्पष्ट निर्देश मिले हैं कि छात्र-छात्राएं और शिक्षक मिलकर स्कूल परिसर की स्वच्छता सुनिश्चित करें। “यह बच्चों में जिम्मेदारी की भावना पैदा करने की पहल है,” शिक्षिका ने बताया। लेकिन महिला अभिभावक इस तर्क से संतुष्ट नहीं हुईं और बात इतनी बढ़ गई कि दोनों के बीच हाथापाई शुरू हो गई।

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मौके पर पहुंचे ग्राम प्रधान जितेंद्र मलिक और पुलिसकर्मियों ने हालात को संभाला और दोनों पक्षों के बीच सुलह कराई। ग्रामीणों के अनुसार, यह पहला मौका नहीं है जब विद्यालय में इस तरह का विवाद हुआ हो। इससे पहले भी विद्यालय की व्यवस्थाओं को लेकर कई बार अभिभावकों ने असंतोष जाहिर किया है।

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इस पूरे मामले पर खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) किरण यादव ने कहा, “शासन की ओर से साफ निर्देश हैं कि सभी शैक्षणिक संस्थानों में स्वच्छता अभियान को गंभीरता से लिया जाए। बच्चों को अपने आसपास की सफाई के लिए प्रेरित करना शिक्षा का हिस्सा है। लेकिन अगर किसी स्थान पर यह कार्य जबरन करवाया जा रहा है या किसी प्रकार की असहमति है, तो उसकी जांच की जाएगी।”

फिलहाल, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने इस घटना को और अधिक संवेदनशील बना दिया है। लोग शिक्षिका के व्यवहार पर सवाल उठा रहे हैं तो कुछ शासनादेश पर भी सवाल उठा रहे हैं।[ फोटो प्रतीकात्मक ]


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