Friday, November 22, 2024

सीएम हेमंत ने ईडी के आला अफसरों पर एसटी-एससी थाने में दर्ज कराई एफआईआर

रांची। एक तरफ ईडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भूमि घोटाले में पूछताछ कर रही है, तो दूसरी तरफ सोरेन ने ईडी के एडिशनल डायरेक्टर कपिल राज, असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा, अनुपम कुमार एवं अन्य के खिलाफ रांची स्थित एसटी-एससी थाने में बुधवार को एफआईआर दर्ज कराई है।

 

इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि 29 जनवरी को उनके दिल्ली स्थित आवास की ईडी अफसरों द्वारा जिस तरह तलाशी ली गई और जिस तरह उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया गया, वह अपमानजनक है।

 

सीएम ने कहा है कि वे अनुसूचित जनजाति से आते हैं। ईडी का ऑपरेशन उन्हें और उनके पूरे समुदाय को अपमानित करने वाला है। रांची स्थित एसटी-एससी थाना ने सीएम के आवेदन पर ईडी के अफसरों के खिलाफ केस संख्या 6/24 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है। प्राथमिकी में एसटी-एससी (पीए) एक्ट की धारा 3 (1) (पी)(आर)(एस)(यू) लगाई गई है।

 

सीएम ने अपने आवेदन में कहा है कि 27 और 28 जनवरी 2024 को मैंने नई दिल्ली का दौरा किया और शांति निकेतन, जिसे झारखंड राज्य द्वारा आवास एवं कार्यालय उपयोग हेतु पट्टे पर लिया गया है, वहां रुका। 29 जनवरी 2024 को मुझे पता चला कि ईडी के अधिकारियों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर उस परिसर में कथित तलाशी ली थी। यह कथित तलाशी मुझे बिना किसी सूचना के ली गई थी। मैं 30 जनवरी को रांची लौटा तो इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के साथ-साथ प्रिंट मीडिया में भी सर्च करने वाले इन अधिकारियों की करतूत देखी। मुझे और मेरे पूरे समुदाय को परेशान करने और बदनाम करने के लिए झारखंड भवन, नई दिल्ली और 5/01, शांति निकेतन, नई दिल्ली में ऑपरेशन किया गया।

 

सीएम ने कहा है कि ईडी के अधिकारियों ने मुझे 29 और 31 जनवरी को रांची में उपस्थित रहने के लिए कहा था। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा व्यापक कवरेज से यह स्पष्ट है कि ईडी अधिकारियों ने मीडिया को इसकी जानकारी दी थी, ताकि मीडिया में तमाशा बनाया जा सके और आम जनता की नजरों में मेरी बदनामी हो।

 

मुझे 30 जनवरी को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि ईडी के अधिकारियों ने गलत सूचना लीक की है कि आवास परिसर से जब्त की गई नीली बीएमडब्ल्यू कार मेरी है और मेरे परिसर से भारी मात्रा में अवैध नकदी मिली थी। मैं बीएमडब्ल्यू निर्मित उस कार का मालिक नहीं हूं, जिसके मालिक होने का दावा ईडी के अधिकारियों ने किया है। ईडी के अधिकारियों और अज्ञात अन्य लोगों ने, जो किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य नहीं हैं, जानबूझकर मुझे सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के लिए यह कृत्य किया है।

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