नई दिल्ली। कांग्रेस का कहना है कि इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हुए लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कोडिकुन्निल सुरेश के समर्थन में प्रस्ताव पेश किया। इसके बाद इंडिया गठबंधन की पार्टियां मत के विभाजन के लिए जोर दे सकती थीं। कांग्रेस के मुताबिक इंडिया गठबंधन ने ऐसा नहीं किया। ऐसा इसलिए, क्योंकि वे चाहते थे कि आम सहमति और सहयोग की भावना प्रबल हो, जिसका प्रधानमंत्री और एनडीए के कार्यों में स्पष्ट रूप से अभाव होता है। वहीं, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बुधवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में दिखे।
राहुल गांधी ने उम्मीद जताई कि विपक्ष की आवाज को संसद में प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने सदन को अच्छी तरह से चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष को पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिरला को बधाई देने के लिए अपने स्वागत भाषण में राहुल गांधी ने कहा कि बेशक, सरकार के पास राजनीतिक शक्ति है, लेकिन विपक्ष भी भारत के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है। पिछली बार की तुलना में विपक्ष काफी अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।
यह सोचना कि विपक्ष की आवाज को दबाकर सदन को कुशलतापूर्वक चलाया जा सकता है, एक गैर-लोकतांत्रिक विचार है। इस चुनाव ने दिखाया है कि भारत के लोग विपक्ष से देश के संविधान की रक्षा करने की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा कि सवाल यह नहीं है कि सदन कितनी कुशलता से चलता है, सवाल यह है कि इस सदन में भारत की कितनी आवाज़ को सुनने की अनुमति दी जा रही है। विपक्ष को बोलने की अनुमति देकर, हमें अनुमति देकर, भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करें, आप भारत के संविधान की रक्षा करने का अपना कर्तव्य निभाएंगे।
सदन चलाने के लिए विपक्ष के समर्थन और सहयोग का आश्वासन देते हुए उन्होंने अध्यक्ष से कहा कि विपक्ष आपका काम करने में आपकी सहायता करना चाहेगा। हम चाहेंगे कि सदन नियमित रूप से और अच्छे से चले। साथ ही, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सहयोग विश्वास के आधार पर हो। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि विपक्ष की आवाज को इस सदन में प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जाए। मुझे विश्वास है कि आप हमें प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देंगे, हमें बोलने की अनुमति देंगे।