Thursday, April 24, 2025

अनुच्छेद 370 को लेकर न्यायालय के फैसले पर कांग्रेस ने जताई असहमति

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसले को उच्चतम न्यायालय ने जिस तरह से सही ठहराया है पार्टी सम्मानपूर्वक उससे असहमति व्यक्त करती है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम तथा अभिषेक मनु सिंघवी ने सोमवार को यहां पार्टी मुख्यालय में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर आए उच्चतम न्यायालय के फैसले पर असहमति जताई और कहा कि पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्य समिति का संकल्प है कि अनुच्छेद 370 तब तक सम्मान के योग्य है जब तक कि इसे भारत के संविधान के अनुसार संशोधित नहीं किया जाता।

चिदम्बरम ने कहा, “हम इस फैसले की इस बात से भी निराश हैं कि शीर्ष न्यायालय ने राज्य को विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के प्रश्न पर निर्णय नहीं लिया। कांग्रेस ने हमेशा जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के केंद्र के फैसले का विरोध कर जम्मू कश्मीर में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है। हम इस संबंध में आए शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा तुरंत बहाल किया जाना चाहिए और लद्दाख के लोगों की आकांक्षाएं भी पूरी होनी चाहिए।”

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उन्होंने विधानसभा चुनाव कराने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश का स्वागत किया और कहा कि राज्य में तत्काल विधानसभा चुनाव कराए जाने चाहिए। उनका कहना था कि आजादी के बाद भारत में विलय की प्रक्रिया पूरी होने के बाद से जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जम्मू-कश्मीर के लोग भारतीय नागरिक हैं और कांग्रेस राज्य की सुरक्षा, शांति, विकास और प्रगति के लिए काम करने के अपने संकल्प को दोहराती हैं।

सिंघवी ने कहा, “हम उच्चतम न्यायालय के निर्णय के सामने नतमस्तक हैं, लेकिन देश के एक आम नागरिक की हैसियत से कह सकता हूं कि इस निर्णय में एक विरोधाभास है। फैसले में यह नहीं कहा गया है कि आखिर एक प्रदेश का दर्जा घटाकर उसे केंद्र शासित प्रदेश क्यों बनाया गया है जबकि दूसरी तरफ न्यायालय लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले को वैद्य मानता है। एक ही प्रदेश के एक हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को लेकर कोई निर्णय नहीं देना और फिर उसी राज्य के दूसरे हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को सही बताना विरोधाभास है। यह संवैधानिक गलती दिख रही है। फैसले में एक तरफ सरकार के आश्वासन को माना गया है और दूसरी तरफ अगले सितम्बर तक चुनाव कराए जाने का निर्णय दिया है।”

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी 18 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी की दर आठ प्रतिशत है। शहरी क्षेत्र में बेरोजगोरी 31 प्रतिशत जबकि महिलाओं में 51 प्रतिशत है। जम्मू-कश्मीर में विनिवेश 2021-22 में पहले वित्त वर्ष की तुलना में काफी कम है।

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