रांची। गुजरात के अहमदाबाद में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के दो दिवसीय अधिवेशन में शिरकत कर लौटे झारखंड प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने कहा कि वे नई ऊर्जा से लैस होकर आए हैं। पार्टी को ग्रासरूट लेवल पर कैसे मजबूत करें, इस पर शीर्ष केंद्रीय नेताओं का मार्गदर्शन मिला है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने गुरुवार को मीडिया से कहा कि साबरमती के तट पर हुआ यह अधिवेशन कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। इस अधिवेशन से जो संदेश हमें मिला है, उसे गांव-गांव तक पहुंचाएंगे।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल की धरती पर आयोजित अधिवेशन में एससी, एसटी और ओबीसी को वाजिब आरक्षण दिलाने की लड़ाई लड़ने का संकल्प पार्टी ने लिया है। युवाओं और महिलाओं को भी उचित प्रतिनिधित्व देने की बात है। सभी को मिल-जुलकर कांग्रेस संगठन को मजबूती प्रदान करनी है, धारदार बनाना है। झारखंड सरकार के मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि अधिवेशन ने उन्हें नई ऊर्जा दी है। उन्होंने कहा, “हम केंद्र सरकार के हर गलत निर्णय का पुरजोर विरोध करेंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड विधानसभा में पहले ही कह चुके हैं कि झारखंड में वक्फ संशोधन कानून लागू नहीं होने देंगे। कांग्रेस पार्टी तो पहले से ही इसके विरोध में थी। कांग्रेस की देखा-देखी ममता बनर्जी ने भी अपना रुख स्पष्ट किया है।
“लोहरदगा के कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने कहा कि अधिवेशन में कई अहम मुद्दों पर पार्टी ने अपना स्टैंड साफ किया है। पार्टी ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के विरोध में है। इसके लिए संविधान में 10 संशोधन करने होंगे। उन्होंने कहा, “मैं संयुक्त संसदीय समिति का सदस्य हूं, इसलिए सभी तथ्यों से वाकिफ हूं। संविधान का सबसे बड़ा इंटरप्रेटर सुप्रीम कोर्ट है। सुप्रीम कोर्ट ने 1973 के केशवानंद भारती मामले में फैसला देते हुए साफ कहा है कि संसद संविधान की मूल संरचना को न बदले। जब आप सारी चीजों में संशोधन करेंगे तो स्वाभाविक रूप से संविधान की मूल संरचना में परिवर्तन होगा। भारतीय जनता पार्टी यह नैरेटिव सेट कर रही है कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ से जनता का पैसा बचेगा। दरअसल, चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की तर्ज पर नीतियों को देश में लागू करना चाहते हैं। एक आदमी की जिद के लिए यह सब हो रहा है।