Saturday, May 18, 2024

उपभोक्ता परिषद ने कहा, उपभोक्ताओं के निकल रहे सरप्लस के बदले बिजली बिल में हो कटौती

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लखनऊ। बिजली कंपनियां विद्युत नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता में भारी गैप दिखाकर आमदनी बढ़ाने के उपायों को आयोग पर छोड़ दिया है। बिजली कंपनियों ने बिजली बिल में बढ़ोत्तरी कराना चाहता है, जिस कारण वह उपभोक्ताओं के सरप्लस को नहीं दिखाया है। इसका विरोध करते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विरोध करते हुए बिल में कटौती करने की मांग की है।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियां हमेशा चोर दरवाजे से काम करना चाहती हैं। इस कारण उन्होंने बिजली बढ़ाने की स्पष्ट मांग न कर नियामक आयोग में अपने घाटे को दर्शाया है और आयोग से ही अपनी आमदनी बढ़ाने के उपायों के बार में आदेश करने को छोड़ दिया है। जब उपभोक्ताओं का सरप्लस निकल रहा है तो ऐसे में बिजली कंपनियां बिजली बिल कैसे बढ़ा सकती हैं। इस पर उपभोक्ता परिषद ने भी नियामक आयोग में एक वाद दाखिल कर दिया है।

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बिजली कंपनियों द्वारा नियामक आयोग में दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता 11000 करोड़ बताया गया है। अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के सामने मुद्दा उठा दिया कि जब प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है और वह भी विद्युत नियामक आयोग ने निकाला है। ऐसे में उसके एवज में बिजली दरों में बढ़ोत्तरी का चोर दरवाजे प्रस्ताव दाखिल किया जाना अपने आप में चिंता का विषय है।

उपभोक्ता परिषद ने इससे संबंधित एक जनहित प्रस्ताव भी आयोग में दाखिल किया। परिषद ने कहा कि वास्तव में बिजली कंपनियों को यदि कानून की जानकारी है तो कानून के तहत 33122 करोड़ के एवज में दरों में कमी का प्रस्ताव दाखिल करना चाहिए था। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग तत्काल जनहित में निर्णय लेते हुए बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता को बिजली कंपनियों को वापस करते हुए संशोधित प्रस्ताव मंगवाये, जिसमें उपभोक्ताओं के निकल रहे सर प्लस के एवज में दरों में कमी का प्रस्ताव दाखिल करने का निर्देश जारी करे।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा प्रदेश कि बिजली कंपनियां प्रदेश के उपभोक्ताओं को नादान समझती है। वह क्या सोचती है? कि भी विद्युत नियामक आयोग के निर्णय के खिलाफ उनके द्वारा एपलेट ट्रिब्यूनल में मुकदमा दाखिल करके उपभोक्ताओं को लाभ से वंचित कर लेंगे तो उन्हें शायद या ज्ञान नहीं है।

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