इटावा, – समाजवादी पार्टी (सपा) महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकाल में लोकतंत्र की हानि हुयी है।
श्री यादव ने रविवार को यहां जिला पंचायत आवास पर पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि आगामी निकाय चुनाव के साथ-साथ कॉआपरेटिव चुनाव की तैयारियों में उनका संगठन जुटा हुआ है। वह लगातार कार्यकर्ताओं से मेल मुलाकात कर रहे हैं । उनकी समस्याएं सुन रहे हैं।
उन्होंने कहा “ बहुत ही जल्दी निकाय चुनाव आने वाले हैं फिलहाल मै अभी कॉआपरेटिव चुनाव में सक्रिय हो पार्टी जनों के बीच जा रहा हूं। हमने जिस ढंग से अपनी तैयारी की हुई है उस तरह से कोऑपरेटिव के चुनाव में समाजवादी पार्टी को खासी कामयाबी हासिल होगी और भारतीय जनता पार्टी को समय आने पर करारा जवाब मिल जाएगा।”
श्री यादव ने कहा कि ईडी और सीबीआई के छापे केवल विपक्ष के नेताओ के यहां ही पड़ रहे है भारतीय जनता पार्टी में लोकतंत्र नाम की कोई भी चीज नहीं बची है केवल विपक्षी नेताओं पर ही छापे पड़ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के लोगों में लोकतंत्र कतई नहीं बचा है।
लालू परिवार पर छापेमारी को लेकर शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओ को केवल विपक्ष के लोग ही घोटालेबाज, बेईमान सब कुछ दिख रहे है जबकि हकीकत में भाजपा के नेता से बड़ा कोई भ्रष्टाचारी नहीं है, आज भाजपा का कोई भी नेता ईमानदार नही लगता है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव से डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के जवाब मांगने के सवाल पर शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक केवल विज्ञापनों में रहते हैं, सर्दियों में एक अस्पताल में गए थे एक मरीज को सर्दी लग रही थी तब आधी बांह वाली सदरी पहनाई थी, इतनी भयानक ठंड में क्या सर्दी बची होगी, सभी मरीज देखते रह गए, एक डिप्टी चीफ मिनिस्टर केवल विज्ञापनों में रहना चाहते हैं और ऐसा काम करते हैं।
इटावा में कोऑपरेटिव चुनाव को लेकर सपा राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव सक्रिय हो गए है। इटावा औरैया की 139 समितियों पर समाजवादी पार्टी कब्जा जमाने की तैयारी में जुट गई है। शिवपाल शहर के इटावा जिला पंचायत आवास पर बैठक करने पहुंचे जहा पर कोऑपरेटिव चुनाव को लेकर के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इटावा-औरैया में 139 समितियों का 14 मार्च को चुनाव होना है। 19 मार्च को कोऑपरेटिव समितियों का चुनाव स्मपन्न होना है। शिवपाल सिंह इस चुनाव में भी अपना दबदबा कायम रखने के लिए कोऑपरेटिव समितियों के चुनाव में बहुत ही सुनियोजित तौर पर रणनीति कर रहे हैं।