मेरठ। मेरठ में 1987 में हुए मलियाना दंगा मामले में शनिवार को सुनवाई हुई। अपर जिला जज ने 39 आरोपियों को बरी किया है। बताया गया कि इस मामले में 93 पर मुकदमा दर्ज किया गया था।
मेरठ के मलियाना दंगे में 63 लोगों की मौत के मामले में 35 साल बाद शनिवार को फैसला आया है। अपर जिला जज कोर्ट ने 39 आरोपियों को बरी कर दिया है। जबकि इस मामले में 40 अन्य आरोपियों की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। मरने वाले लोगों का पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक डॉ. पीएन मल्होत्रा की भी मृत्यु हो चुकी है। यह फैसला एडीजे-6 न्यायाधीश लखविंदर सिंह सूद ने सुनाया।
हाशिमपुरा दंगे के बाद 23 मई 1987 को मलियाना होली चौक पर सांप्रदायिक दंगा भड़का था। इसमें 63 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। घटना की एफआईआर वादी याकूब अली पुत्र नजीर निवासी मलियाना ने 93 आरोपियों के खिलाफ लिखाई थी। पुलिस ने विवेचना करते हुए 23 जुलाई 1988 को 79 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी। पुलिस ने विवेचना में 61 गवाहों का हवाला दिया थाए जिनमें से 14 लोगों की गवाही हुई।
घटना के वादी ने खुद न्यायालय में अपने बयान दर्ज कराए कि जिन आरोपियों को दंगे का आरोपी बनाया गया हैए उनके द्वारा यह घटना नहीं की गई थीए बल्कि पुलिस और पीएसी वालों ने ही गोलियां चलाकर घटना को अंजाम दिया था। न्यायालय के समक्ष आरोपी पक्षों की ओर से छोटे लाल बंसल अधिवक्ता व अभियोजन पक्ष की ओर से सचिन मोहन गुप्ता ने न्यायालय के समक्ष पक्ष रखा। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनकर आरोपियों के विरुद्ध उचित साक्ष्य न पाते हुए उन्हें बरी कर दिया।