काठमांडू। नेपाल में प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार हनीमून के दौर में ही एक के बाद एक संकटों का सामना कर रही है। सरकार के घटक दल नेशनल इंडिपेंडेंट पार्टी (राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी) के बाद अब सिविल लिबर्टीज पार्टी (नागरिक उन्मुक्ती पार्टी) और जनमत पार्टी ने नाराजगी दिखानी शुरू कर दी है। दोनों पार्टियों ने सरकार चलाने के लिए बनाए गए तंत्र में शामिल होना बंद कर दिया है।
जनमत पार्टी का एक मंत्री सरकार में है और नागरिक मुक्ति पार्टी सरकार का बाहर से समर्थन कर रही है। नागरिक मुक्ति पार्टी के केंद्रीय सदस्य हिमांचल भट्टराई ने कहा, ‘‘बड़ी पार्टियों ने हमें नजरअंदाज किया, इसलिए हम सरकार से बाहर हैं, लेकिन हमारा समर्थन अभी तक बरकरार है।’’
सुदूर पश्चिम प्रांत की सरकार बनने के ठीक एक महीने बाद ही गिर गई। इसकी वजह सत्ताधारी गठबंधन के बीच की कलह रही है। इस घटना से विपक्षी गठबंधन के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने केंद्र में यह गठबंधन टूटने के संकेत दिए हैं।
पुष्पकमल दहल प्रचंड ने चुनाव से पहले नेपाली कांग्रेस, सीपीएन यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी (एकीकृत समाजवादी) के साथ गठबंधन किया था। चुनावी मुद्दे पर विवादों के कारण प्रचंड सीपीएन यूएमएल (एमाले) के साथ गठबंधन करके आगे बढ़े।
एक मुद्दा यह भी सामने आ रहा है कि प्रचंड फिर से पुराने गठबंधन को बढ़ावा दे सकते हैं। इसी विषय को लेकर प्रचंड पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और माधव कुमार नेपाल से लगातार बात कर रहे हैं।