भोपाल। मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्र खितौली और पतौर रेंज में गत 29 अक्टूबर को हुई 10 हाथियों की मौत के मामले में मंगलवार को खुलासा हुआ है। मृत हाथियों के विसरा विज्ञान प्रयोगशाला में भेजे गये थे। अपर मुख्य वन संरक्षक वन्य-जीव एल. कृष्णमूर्ति ने बताया कि 5 नवम्बर को मृत हाथियों की विसरा सैम्पल की विषाक्तता रिपोर्ट केन्द्र सरकार के आईवीआरआई, बरेली उत्तर प्रदेश से प्राप्त हुई है। रिपोर्ट के अनुसार मृत हाथियों के विसरा में साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड पाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार यह भी पता चलता है कि हाथियों ने बड़ी मात्रा में खराब कोदो के पौधे व अनाज खाये हैं। नमूनों में पाये गये साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड की विषाक्तता की वास्तविक गणना और आगे की जा रही है।
उन्होंने बताया कि आईवीआरआई, बरेली की रिपोर्ट के अनुसार नाइट्रेट-नाइट्राइट, भारी धातुओं के साथ-साथ ऑर्गनों-फॉस्फेट ऑर्गनो-क्लोरीन, पाइरेथ्रोइड और कीटनाशकों के कार्बामेट समूह की उपस्थिति के लिये नकारात्मक पाई गई है। अपर मुख्य वन संरक्षक वन्य-जीव कृष्णमूर्ति ने बताया कि आयवीआरआई ने अपनी रिपोर्ट में आसपास के क्षेत्रों में ध्यान रखने के लिये एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें ग्रामीणों में जागरूकता, खराब फसल में मवेशियों न चराने जैसे बिन्दु दिये गये हैं, जिसे प्रबंधन द्वारा पालन कराया जायेगा।
चार दिन से जांच में जुटी दिल्ली से आई टीम के सदस्य-
बांधवगढ़ रिजर्व में 10 हाथियों की मौत के मामले की जांच के लिए दिल्ली से आई टीम बांधवगढ़ में डेरा डाले हुए है। टीम के सदस्य घटना के कारणों की बारीकी से जांच कर रहे हैं। हाथियों की मौत की सूचना के बाद दूसरे दिन केंद्र सरकार की ओर से वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) नई दिल्ली ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की है। इस जांच टीम में पांच अधिकारी शामिल किए गए हैं, जो जॉइंट डायरेक्टर डॉ. कृपाशंकर के नेतृत्व में बांधवगढ़ पहुंचे हैं। पांच दिन से इस टीम के चार सदस्य बांधवगढ़ में ही रुककर जांच कर रहे हैं। यह टीम पता कर रही है कि कहीं हाथियों को जहर देकर तो नहीं मारा गया है।
मामले को लेकर राज्य में राजनीति भी शुरू हो गई है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत पर कांग्रेस पार्टी राज्य सरकार और वन मंत्री रामनिवास रावत पर हमलावर है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का आरोप है कि हाथियों को जहर दिया गया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने क्षेत्र के रिसॉर्ट संचालकों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि ‘बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 10 हाथियों की मृत्यु को करीब एक हफ्ता बीत चुका है, लेकिन दोषियों को पकड़ना तो दूर मध्य प्रदेश सरकार अब तक हाथियों की मृत्यु के कारण को भी स्पष्ट नहीं कर सकी है। यह अत्यंत चिंता का विषय है। एक तरफ तो वन्य जीवों का जीवन खतरे में है, ताे दूसरी तरफ यह भी दिखाई देता है कि मध्य प्रदेश का वन विभाग, वन्य प्राणियों की रक्षा करने में पूरी तरह असमर्थ है। प्रदेश की जांच एजेंसियां या तो पूरी तरह अकर्मण्य हैं या फिर उनके पास इतनी सुविधा ही नहीं है कि वे हाथियों की मृत्यु की उचित जांच कर सकें।’
वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि हाथियों को जहर दिया गया। मौत का कोई अभियुक्त है, तो वो सरकार और वन विभाग है। ये तो पता चली मौतें हैं, हाथियों की इसके अलावा भी और मौत होती रहती हैं, जो पता नहीं चलती। वन्यजीवों को लेकर सरकार सिर्फ बजट पास करती है और उसका करप्शन करती है।’ पटवारी ने कहा कि इसमें वन मंत्री का भी इस्तीफा ले लो, रामनिवास रावत को भी जिम्मेदार ठहरा दो। वो उधर चुनाव में व्यस्त हैं, इधर हाथियों की हत्या हो रही है। भारतीय जनता पार्टी का जो पाखंड है, इसे जनता समझे। अगर ये इस्तीफा नहीं लेंगे तो विजयपुर की जनता और कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता उनको पद से हटा देगा। विधायक ही नहीं रहेंगे, तब तो हटाएंगे कि नहीं हटाएंगे।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि मुख्यमंत्री तो गणपति जी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वह कौन से भगवान पर ध्यान दे रहे हैं, यह मुख्यमंत्री बताएं, मुख्यमंत्री जी मौन हैं।’ उन्होंने कहा कि बांधवगढ़ क्षेत्र में रिसोर्ट संचालकों की जानकारी मिली है कि उनको हाथियों के कारण नुकसान होता है, उनकी फेंसिंग को भी नुकसान होता है। यह बड़ी साजिश है, किस-किस के वहां पर रिसोर्ट हैं, कौन भाजपा से जुड़ा है, उस पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।