रांची। ईडी की कार्रवाई और अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। सोरेन और ईडी, दोनों पक्षों ने कई बिंदुओं पर अपनी दलीलें पेश की।
एक्टिंग चीफ जस्टिस एस. चंद्रशेखर और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की बेंच में बुधवार को भी मामले की सुनवाई जारी रहेगी।
हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखते हुए कहा कि यह शेड्यूल ऑफेंस का केस नहीं है। हेमंत सोरेन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता। जिस साढ़े आठ एकड़ की विवादित जमीन को लेकर हेमंत सोरेन के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उसके किसी भी दस्तावेज में उनका नाम है ही नहीं। कुछ लोगों ने कह दिया कि यह जमीन हेमंत सोरेन की है और इसी पर विश्वास करते हुए ईडी जांच कर रही है। इस केस में सोरेन के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है।
ईडी की तरफ से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसवी राजू ने कहा कि हेमंत सोरेन की यह याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है। इसमें उनके खिलाफ शेड्यूल ऑफेंस का मामला बनता है और ईडी ने उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य जुटाए हैं। जमीन घोटाले के इस मामले में रांची के बड़गाईं अंचल के उप निरीक्षक भानु प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया गया है, जो कि हेमंत सोरेन का भरोसेमंद सहयोगी है।
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को ईडी ने जमीन घोटाले में करीब आठ घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। ईडी की कार्रवाई को चुनौती देते हुए सोरेन ने 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में भी एसएलपी दाखिल की थी, लेकिन जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने हेमंत सोरेन को पहले झारखंड हाईकोर्ट जाने को कहा था।