Wednesday, April 23, 2025

रक्षा मंत्रालय ने साफ किया- अभी अमेरिकी एमक्यू-9 बी ड्रोन की कीमतें तय नहीं

नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने अमेरिका से खरीदे जाने वाले 31 एमक्यू-9बी ड्रोन को लेकर साफ किया है कि अभी इनकी कीमतें तय नहीं हुईं हैं, अमेरिकी सरकार की नीति मंजूरी मिलने के बाद कीमत पर बातचीत की जाएगी। कीमत और खरीद की अन्य नियम एवं शर्तें अभी तय नहीं की गई हैं और ये बातचीत के अधीन हैं। एमओडी जनरल एटॉमिक्स (जीए) से तालमेल करके अन्य देशों की तुलना में सर्वोत्तम कीमत से खरीद करेगा।

रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 15 जून को तीनों सेनाओं के लिए 31 एमक्यू-9बी हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (हेल) रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम के अधिग्रहण के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) प्रदान की। इसमें 16 स्काई गार्जियन और 15सी गार्जियन ड्रोन हैं। यह खरीद संयुक्त राज्य अमेरिका से विदेशी सैन्य बिक्री मार्ग से की जानी है। एओएन में संबंधित उपकरणों के साथ खरीदे जाने वाले यूएवी की संख्या शामिल थी।

हालांकि, डीएसी ने एओएन में अमेरिकी सरकार से प्रदान की गई 3,072 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत का उल्लेख किया। अब रक्षा मंत्रालय ने साफ किया है कि अमेरिकी सरकार की नीति मंजूरी मिलने के बाद कीमत पर बातचीत की जाएगी। रक्षा मंत्रालय ड्रोन का अधिग्रहण लागत की तुलना में जनरल एटॉमिक्स से तालमेल करके अन्य देशों को दी जाने वाली सर्वोत्तम कीमत से करेगा। ड्रोन की खरीद प्रगति पर है और निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार पूरी की जाएगी।

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रक्षा मंत्रालय के मुताबिक विदेशी सैन्य बिक्री मार्ग से अमेरिकी सरकार को एक अनुरोध पत्र (एलओआर) भेजा जाएगा, जिसमें त्रि-सेवा आवश्यकताओं, उपकरणों का विवरण और खरीद की शर्तें शामिल होंगी। एलओआर के आधार पर अमेरिकी सरकार और रक्षा मंत्रालय प्रस्ताव और स्वीकृति पत्र (एलओए) को अंतिम रूप देंगे, जहां उपकरण और खरीद की शर्तों के विवरण पर बातचीत की जाएगी। अमेरिकी सरकार की प्रस्तावित कीमत और शर्तों के अनुसार कीमतों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ड्रोन की कीमत और खरीद की अन्य शर्तों का जिक्र करते हुए सोशल मीडिया के कुछ हिस्सों में कुछ अटकलबाजी रिपोर्टें सामने आईं। मंत्रालय ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि इस तरह की अटकलबाजी का उद्देश्य उचित अधिग्रहण प्रक्रिया को पटरी से उतारना है। कीमत और खरीद की अन्य नियम एवं शर्तें अभी तय नहीं की गई हैं और ये बातचीत के अधीन हैं। मंत्रालय ने मीडिया संस्थाओं से अनुरोध किया है कि वे फर्जी खबरें, गलत सूचना न फैलाएं, जो सशस्त्र बलों के मनोबल पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। साथ ही अधिग्रहण प्रक्रिया पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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