नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को आपराधिक मानहानि मामले में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को पेशी से एक दिन की छूट दे दी। मामला साल 2018 में यूट्यूबर ध्रुव राठी द्वारा पोस्ट किए गए कथित मानहानिकारक वीडियो को दोबारा ट्वीट करने के इर्द-गिर्द घूमता है।
राउज एवेन्यू कोर्ट की अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट तान्या बामनियाल ने सीएम केजरीवाल की छूट याचिका को स्वीकार करने के बाद उन्हें 29 फरवरी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। याचिका में कहा गया था कि वह बजट सत्र में व्यस्त हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले में समन रद्द करने की सीएम केजरीवाल की याचिका सोमवार को खारिज कर दी थी। मामले की अध्यक्षता करने वाली न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा ने सीएम केजरीवाल की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए मजिस्ट्रेट के समन आदेश को बरकरार रखा था।
न्यायाधीश ने कहा था कि मानहानिकारक कंटेंट को दोबारा ट्वीट करना आईपीसी की धारा 499 के अनुसार मानहानि के अपराध के अंतर्गत आता है।
केजरीवाल ने 2019 में याचिका दायर की थी और एक समन्वित पीठ ने पहले दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा ने कहा था कि ऑनलाइन बातचीत, विशेष रूप से ट्विटर (अब एक्स) पर री-ट्वीट करने पर मानहानि का दायित्व आ सकता है।
यदि सीएम केजरीवाल अपने री-ट्वीट को सही ठहराना चाहते हैं तो अदालत ने सुनवाई के दौरान ऐसा करने का सुझाव दिया। अदालत ने व्यापक प्रभाव पर ध्यान दिया था जब सार्वजनिक हस्तियां, विशेष रूप से राजनीतिक हस्तियां, सोशल मीडिया पर कंटेंट साझा करती हैं।
फैसले में कहा गया कि कानूनी प्रणाली को वर्चुअल प्लेटफार्मों के संदर्भ में अनुकूलित होना चाहिए। अदालत ने कहा था कि मुख्यमंत्री जैसी राजनीतिक हस्तियों द्वारा सोशल मीडिया पर महत्वपूर्ण उपस्थिति के साथ री-ट्वीट को सार्वजनिक समर्थन के रूप में माना जा सकता है।
इससे पहले मजिस्ट्रेट ने री-ट्वीट को प्रथम दृष्टया मानहानिकारक मानते हुए सीएम केजरीवाल को तलब किया था। यह मामला सोशल मीडिया पेज ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ के संस्थापक विकास पांडे (सांकृत्यायन) ने दायर किया था, जिन्होंने दावा किया था कि केजरीवाल के वीडियो को दोबारा ट्वीट करने से उनकी प्रतिष्ठा खराब हुई है।