नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 6 साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का मानना है कि यह आदर्श आचार संहिता के उल्लघंन का मामला है लेकिन मात्र शिकायत से कोर्ट निर्वाचन आयोग को निर्देश नहीं दे सकता है। सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया कि वो याचिकाकर्ता की शिकायत पर विचार कर रहा है।
वकील आनंद एस जोंधाले ने दायर याचिका में प्रधानमंत्री को छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि प्रधानमंत्री ने 9 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में अपने भाषण में हिन्दू और सिख गुरुओं के नाम पर भाजपा के लिए वोट मांगे। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में विपक्ष को मुसलमानों से जोड़कर बोला जबकि चुनाव में धर्म का प्रयोग करना जनप्रतिनिधित्व कानून का खुला उल्लंघन है।
याचिका में प्रधानमंत्री को छह साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि प्रधानमंत्री का भाषण लोकसभा चुनाव में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में बाधा पैदा कर सकता है। इसलिए कोर्ट निर्वाचन आयोग को प्रधानमंत्री के भाषण पर संज्ञान लेने और प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दे।
याचिका में यह भी कहा गया था कि प्रधानमंत्री देश भर में हवाई यात्रा कर ऐसे भाषण दे रहे हैं, जिससे एक समुदाय के खिलाफ घृणा का माहौल पैदा हो सकता है। देश भर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ऐसे भाषणों पर रोक लगनी चाहिए।