Sunday, September 8, 2024

आपातकाल के लोकतंत्र सेनानियों को मिले 50 हजार रुपये प्रतिमाह तथा निशुल्क चिकित्सा- जदयू

नयी दिल्ली। केन्द्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किये जाने के निर्णय की सराहना करते हुए गुरुवार को मांग की कि आपातकाल में जेल में बंद रहे लोकतंत्र सेनानियों को 50 हजार रुपये प्रतिमाह सम्मान राशि, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी तथा निशुल्क चिकित्सा की सुविधा दी जाये।

 

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जदयू के मुख्य प्रवक्ता, सलाहकार एवं पूर्व सांसद के सी त्यागी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आज एक पत्र लिख कर यह मांग की। त्यागी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 12 जुलाई को जारी राजपत्र में 25 जून आपातकाल को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया गया है। इस पर वह देशभर में आपातकाल के समय संघर्ष करने वाले योद्धाओं की ओर से आपका अभिनंदन एवं आभार व्यक्त करते हैं।

 

उन्होंने कहा कि आपातकाल में लोकनायक जय प्रकाश नारायण, स्व. राज नारायण , स्व. मोरारजी देसाई, नानाजी देशमुख, स्व. चौ. चरण सिंह, स्व. अटल बिहारी बाजपेयी, स्व. जार्ज फर्नाडिस, स्व. चन्द्रशेखर, स्व. मधु लिमये , स्व. मुलायम सिंह यादव ,स्व. राजमाता विजयराजे सिंधिया, स्व. मदनलाल खुराना जैसे बड़े नेता भी जेलों में बंद थे, जिनके त्याग औऱ बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है।

 

 

त्यागी ने कहा, “हम आपका ध्यान आकृष्ट करते है कि राजपत्र में दिवंगतों को श्रद्धांजलि का उल्लेख किया गया है। परन्तु जीवित आपातकाल योद्धाओं (लोकतंत्र सेनानी) को न्याय देने के संबंध में किसी भी प्रकार का उल्लेख नहीं है।”
उन्होंने कहा कि राजग शासित 11 राज्यों – उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, असम और उत्तराखण्ड की सरकारों द्वारा आपातकाल अवधि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के मध्य संघर्ष करने वालों को सम्मान निधि दी जा रही है लेकिन दक्षिण भारत एव पूर्वोत्तर भारत जैसे केरल, कर्नाटक, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, गुजरात, मिजोरम, दिल्ली आदि राज्यों के आपातकाल योद्धा इस सम्मान से पूर्णतः वंचित है। उनका संघर्ष एवं त्याग किसी से कम नहीं है।

 

उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी को बचाने के लिए देश पर ‘आपातकाल’ थोपा था। विपक्ष को समाप्त करने के लिए देशभर में नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, सामाजिक संगठन छात्र संगठनों के लोगों को जेलो में बंद कर ‘संविधान की हत्या’ कर दी गई थी। इसे ‘आजादी की दूसरी लड़ाई’ कहा गया है। अत: आपातकाल के योद्धाओं को ‘लोकतंत्र सेनानी’ घोषित कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों जैसे अलग अधिनियम बना कर सम्मानित करने का सकारात्मक निर्णय लेने से युवा पीढी को लोकतंत्र की रक्षा करने तथा अलोकतांत्रिक शक्तियों से संघर्ष करने की प्रेरणा मिलेगी।

 

त्यागी ने अपनी मांगों को रखते हुए कहा कि आपातकाल में लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेलों में बंद रहे लोकतंत्र सेनानियों को ताम्रपत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाये।

 

आपातकाल में जेलों में बंद रहे लोकतंत्र सेनानियों की आर्थिक स्थिति खराब है अत: आपातकाल के सभी जीवित सेनानियों को 50 हजार रुपये प्रतिमाह की सम्मान निधि (पेंशन) दी जाये।

 

आपातकाल में जेलों में बंद रहे लोगों परिवार के कम से कम एक सदस्य को रोजगार उपलब्ध कराया जाये। आपातकाल में जेलों में बंद रहे सभी लोकतंत्र सेनानी 70 वर्ष से अधिक की आयु के हैं, अत: सभी को चिकित्सा उपचार की सुविधा उपलब्ध हो सके इसके लिए उन्हें आयुष्मान योजना में शामिल किया जाये।

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