नई दिल्ली। लोकसभा में मंगलवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश किया गया। इस बिल का विपक्ष ने विरोध किया है। लोकसभा में बिल पेश होने के बाद आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद धर्मेंद्र यादव ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान इस बिल पर प्रतिक्रिया दी। धर्मेंद्र यादव ने कहा कि मेरी इच्छा थी कि यह बिल ना आए। लगातार सदन में भी हम लोगों ने कोशिश की कि बिल ना आए। बिल के लिए आज लोकसभा में वोटिंग भी हुई। विपक्षी ने पूरी कोशिश की और मुझे खुशी है कि जो विपक्ष के पक्ष में वोट पड़े हैं, वो इस बिल को पास नहीं होने देंगे। अलग बात है बिल जेपीसी में जाएगा और लंबी प्रक्रिया से गुजरेगा। यह बिल संविधान विरोधी, लोकतंत्र विरोधी है और हम लोग इसका पुरजोर विरोध करेंगे।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी जनता से अपील की है, जन जागरण की भी बात उन्होंने कही है, और सदन में भी हम लोगों ने ना केवल अपनी बात के माध्यम से बल्कि वोट के माध्यम से भी इसका विरोध जताया है। अखिलेश यादव के जनता को पत्र लिखाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हां उन्होंने पत्र लिखा है। इसे लेकर जनता के बीच चर्चा होनी चाहिए कि किस तरीके से बीजेपी दो दिन पहले संविधान को बचाने की कसमें खा रही थी और दो दिन के बाद ही संविधान के मूलभूत ढांचे को परिवर्तित करने के लिए, ढांचे को बिगाड़ने के लिए इस बिल को लेकर आए हैं। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि संविधान बदलने की दिशा में यह पहला कदम है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी यह पहले ही दिन कह दिया है। बता दें कि वन नेशन, वन इलेक्शन बिल लोकसभा में पेश किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को पटल पर रखा, जिसका विपक्ष ने जमकर विरोध किया। लोकसभा में इस बिल को लेकर सरकार-विपक्ष में गतिरोध बना हुआ है। वन नेशन, वन नेशन को लेकर सदन में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक डिविज़न हुआ। इस बिल के पक्ष में 220 सांसदों ने वोटिंग की तो 149 सांसदों ने इसका विरोध किया।
हालांकि, बाद में फिर से मत विभाजन की प्रक्रिया की गई। दोबारा से मतविभाजन में पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को लेकर संसद में मचे बवाल के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, ”जब कैबिनेट में एक राष्ट्र एक चुनाव बिल आया तो पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजा जाना चाहिए। हंगामे के बीच आईयूएमएल नेता ईटी मोहम्मद बशीर, शिवसेना सदस्य अनिल देसाई ने बिल पर कड़ा ऐतराज जताते हुए मांग की कि इसे जल्द से जल्द वापस लिया जाए।”