Tuesday, June 18, 2024

डीएम-एसएसपी गरीबों की नहीं सुनते लेकिन नरेश टिकैत के सामने हाथ बांधकर खड़े रहे, मोहन प्रजापति ने जताई पीड़ा !                                         

मुजफ्फरनगर। भारतीय अति पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन प्रजापति ने एक बयान जारी कर कहा कि 23 अक्टूबर को भारतीय किसान यूनियन द्वारा शहर में व एसएसपी कार्यालय पर आंदोलन किया गया है। जिसमें भाकियू द्वारा शहर में हर जगह पर ट्रैक्टरों द्वारा जाम लगाकर आंदोलन किया गया था,  ट्रैक्टर चलाकर एसएसपी कार्यालय पर बने पार्क को अखाड़े जैसा बना दिया गया था। वही त्योहारों के समय में व्यापारी और कारोबारियों पर भी इसका असर हुआ है। आमजन को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। उंसके बावजूद प्रशासन दब्बू की तरह नजर आ रहा था, एसएसपी व डीएम  धरने पर पहुँचे और हाथ बांधकर खड़े रहे लाचार और नतमस्तक हुए और अगर अति पिछड़ा वर्ग के लोग शोषण व अत्याचार होने पर न्याय पाने के लिए धरना प्रदर्शन करते हैं तो प्रशासन द्वारा मुकदमे दर्ज कर दिए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि उन पर भी एक महीने में तीन बार मुकदमे दर्ज किये जा चुके हैं और अगर गरीब मजदूर आति पिछड़े व दलित वर्ग के लोग दबंगों द्वारा अत्याचार होने के बाद डीएम व  एसएसपी कार्यालय पर जाते हैं तो कई-कई दिन इधर-उधर भटकने के बाद डीएम और एसएसपी पीड़ित लोगों से मिलते हैं उसके बाद भी न्याय नहीं मिलता।

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उन्होंने कहा  कि अब ऐसा लग रहा है जैसे अधिकारी दबंग लोगों की ही सुनने लगे हैं। उन्होंने कहा कि धरने के दौरान भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा था कि एसएसपी साहब यहां तुम्हारी नहीं हमारी चलेगी, इस पर एक शब्द भी एसएसपी के मुंह से नहीं निकला।

राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन प्रजापति ने कहा कि देश में संविधान सर्वप्रथम है और यहां किसी की नहीं चलेगी बल्कि सभी को संविधान के अनुसार चलना होगा। उन्होंने कहा कि जगबीर सिंह हत्याकांड मामले में भी नरेश टिकैत संविधान के हिसाब से ही जेल गए थे और अब कोर्ट द्वारा बरी भी संविधान के तहत ही हुए हैं। उन्होंने कहा कि जिले में अधिकारी भेदभावपूर्ण तरीके से प्रभावशाली लोगों के अनुरूप कार्य कर रहे हैं जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि अधिकारियों को मानसिक गुलाम बनकर कार्य नहीं करना चाहिए, इससे गरीब व कमजोर वर्ग को मिलने वाले न्याय की आस धूमिल हो जाती है और अगर अधिकारी चाहते हैं कि इस तरह के आंदोलन से ही हर वर्ग की सुनेंगे तो सबसे बड़ा वर्ग अति पिछड़ा वर्ग है और अगर वह ऐसे आंदोलन करने पर आये तो डीएम एसएसपी, अपने कार्यालय पर तो क्या, अपने आवास तक पर नहीं बैठ पाएंगे। इसलिए अधिकारी कमजोर वर्ग को प्राथमिकता देने का काम करें ओर भेदभावपूर्ण तरीके से व्यवहार करना बंद करे।

 

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