आयु बढ़ने के साथ प्राय: शरीर के विभिन्न जोड़ों में दर्द की समस्या प्रारंभ हो जाती है। इसका सर्वाधिक प्रभाव घुटनों पर पड़ता है और चलने फिरने में या सीढ़ियां चढ़ने उतरने में समस्या होने लगती है। कई बार मरीज दर्द से राहत पाने के लिए कई प्रकार की दर्दनाशक दवाओं का प्रयोग करते हैं जिनके कई दुष्प्रभाव शरीर पर हो सकते हैं। विशेष रूप से हमारे गुर्दो और लिवर पर इन दवाओं का दुष्प्रभाव पड़ता है।
प्रसिद्ध पोषण विशेषज्ञ डॉ. शिखा शर्मा के अनुसार, जोड़ों से राहत के लिए सख्त आहार नियंत्रण, नियमित फिजियोथेरेपी और प्राकृतिक चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
उनके अनुसार केवल ऐसे खाद्य पदार्थ ही खाने चाहिए जो आसानी से हजम हो जाएं और किसी प्रकार की गैस आदि पैदा न करें। हमें अपने आहार में गाजर, चुकंदर जैसी सब्जियों का जूस, सूप, पपीता, नाशपाती, सेब जैसे फल और लौकी, तोरी, टिंडा और पेठा जैसी पकी हुई सब्जियां शामिल करनी चाहिए। भोजन बनाते समय जीरा, अदरक, हींग, लहसुन, सौंफ, हल्दी का प्रयोग भी लाभदायक है। बहुत अधिक मसालेदार भोजन, मांसाहारी खाद्य पदार्थ, तले हुए खाद्य पदार्थ, मिठाइयां, चाकलेट, चाय व काफी से दूर रहना चाहिए।
उनके अनुसार भावनात्मक तनाव से भी इस बीमारी के लक्षण उभर सकते हैं। डॉ. शिखा शर्मा के अनुसार इस रोग के मरीजों को अपने आहार में निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए:-
– भलीभांति पके हुए गरम आहार इसमें राहत पहुंचाते हैं।
– नमकीन, खट्टे और मीठे खाद्य पदार्थ भी लाभदायक हैं।
– इस रोग के रोगियों को सलाद, शीतल पेय, कच्ची सब्जियां, यथासंभव नहीं खानी चाहिएं।
– दलिया या गरम खीर जैसे खाद्य पदार्थ लाभप्रद हैं किंतु ठंडे पदार्थों का सेवन यथासंभव नहीं करना चाहिए। शाम के समय हलके स्नेक्स के साथ हर्बल चाय पीनी चाहिए किंतु अधिक कैफीन वाले पेय पदार्थ नहीं लेने चाहिए।
– इस रोग के रोगी सब मीठे फल खा सकते हैं किंतु अधपके फल नहीं खाने चाहिए।
– अशोक गुप्त