विवाह के उपरान्त पति-पत्नी का चोली दामन का साथ होता है। वे दोनों एक दूसरे के बारे में इतना बारीकी से जान जाते हैं जितना जन्म देने वाली माता भी नहीं जान पाती।
हर स्त्री पुरूष में कुछ गुण होते हैं और कुछ अवगुण। यदि उन अवगुणों को उजागर किया जाए तो बात बिगड़ते समय नहीं लगता। उन अवगुणों के साथ सामंजस्य बिठाना ही दूसरे साथी का फर्ज होता है। अगर सामंजस्य ठीक बैठ जाए तो परिवार हंसता खेलता रहता है। जहां पर एक दूसरे की खिंचाई चलती रहे तो परिवार बिखरने लगता है।
एक दिन अचानक उषा के यहां जाना हुआ। उसके पति बस पांच मिनट पहले ही घर पहुंचे थे और ड्राइंग रूम में आराम फरमा रहे थे। जैसे ही हम लोगों ने घर में प्रवेश किया तो उषा जल्दी-जल्दी अपने पति के बिखरे वस्त्र और जूते एकत्र करने लगी और हंसते हुए कहने लगी कि सुबह से निकले अब घर में आए हैं। आते ही मन होता है कि रिलेक्स होकर बैठें। उषा के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी, न ही उसके अंदाज में लग रहा था कि वह पति का मजाक उड़ा रही है बल्कि वह अपने पति के इस रूप को स्वाभाविक मानती लग रही थी।
मुझे उनका यह रवैय्या बहुत अच्छा लगा और मैं भी सोचने पर मजबूर हो गई कि अच्छी पत्नी को अपने पति की कुछ बुराइयों को नजरअंदाज करते रहना चाहिए। पति का मज़ाक उड़ाने पर पति की इज्जत समाज, में कम होती है और कभी-कभी पति मानसिक रोगी भी बन जाते हैं। उन सबका भुगतान भी पत्नी को ही करना पड़ता है।
पति की बुरी हरकतों को उजागर करने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आप अपनी समझदारी से उन परेशानियों को दूर कर सकती हैं। ध्यान रखें कि कहीं आप भी मज़ाक उड़ाने वाली पत्नी तो नहीं हैं:-
घर में बात-बात पर पति को नीचा न दिखाएं। आपके ऐसा करने पर बच्चों पर पिता का प्रभाव नहीं रहेगा और बच्चे पिता को सम्मान नहीं दे पायेंगे।
ऐसे में पति परिवार और समाज से कटने लगते हैं और एकाकी रहना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें हमेशा यह लगता रहेगा कि मैं कभी भी उपहास का पात्र बन सकता हूं।
ऐसे पति घर की जिम्मेदारी खुशी से नहीं निभा पाते, बस कर्तव्य समझ कर जिम्मेदारियों का बोझ ढोते हैं।
पत्नी के अपमान करने पर पति का आत्मविश्वास हिलने लगता है। वह अपने आप को निर्गुण समझने लगता है और हीन भावना का शिकार हो जाता है।
वह कोई भी फैसला स्वयं लेने लायक नहीं रह पाता क्योंकि हमेशा आत्म विश्वास की कमी सताती रहती है।
बार-बार दूसरे पुरूषों से तुलना करने पर पति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है और बात-बात पर झगडऩे लगता है जिससे घर की शांति हमेशा भंग रहती है।
पत्नी और बच्चों से पूरा आदर सत्कार न मिलने पर उसे परिवार में रहना बोझिल लगने लगता है और पति को भी धीरे धीरे परिवार से मोह कम होने लगता है।
ऐसे में घर-घर न रहकर कलह का स्थान बन जाता है और पति अधिक समय बाहर गुजारने की सोचने लगता है।
कभी-कभी ऐसे पुरूष गलत नशीली आदतों के शिकार भी बन जाते हैं।
यदि पत्नी चाहे तो परिवार में पति की इज्जत और स्थान बनाए रख सकती है। बस आवश्यकता है स्वयं उनकी इज्जत करने की और कमजोरियों का उपहास न करने की।
– नीतू गुप्ता