Friday, November 22, 2024

कम ही पिएं चाय

आगंतुक का स्वागत हो या शादी-विवाह का औपचारिक शिष्टाचार, सभी चाय बिना सूने हैं। रात की खुमारी तोडऩे वाली सुबह की चाय केवल सुबह ही नहीं बल्कि दिन में चार-पांच बार सहजता से पी जाती है। चाय पीने से लाभ हों या न हों लेकिन सभी स्वास्थ्य विशेषज्ञ का इस तथ्य पर एक मत है कि चाय लाभ के अनुपात में दुगुनी हानिकारक होती है। स्वास्थ्य नाशक चाय शिष्टाचार से इस कदर जुड़ गयी है कि चाय न पूछना अशिष्टता समझा जाने लगा है।

चाय में पाए जाने वाले तीन तत्व टेनिन, कैफीन (थीनन) तथा यूरिक एसिड शरीर पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। टेनिन एसिड जहां पाचन क्रिया को शिथिल करता है, वहीं कैफीन (थीनन) उत्तेजक होने के कारण खून का दौरा तीव्र करके नींद तथा थकान को तोड़ता है।

चाय के एक कप में लगभग एक ग्रेन कैफीन पाई जाती है। यदि कोई व्यक्ति दिन में चार-पांच बार चाय पीता है तो प्रतिदिन चार-पांच ग्राम की मात्रा में कैफीन नामक जहर उसके पेट में पहुंच जाता है। इससे जल्दी ही वह व्यक्ति नाड़ी दुर्बलता, भूख न लगना, कंपकंपी महसूस करना तथा इन्द्रियों के निष्क्रिय हो जाने जैसी स्वास्थ्य दुर्बलता का शिकार हो जाता है।

सुबह-सुबह खाली पेट चाय पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। चाय के साथ हल्का-फुल्का नाश्ता अवश्य ले लेना चाहिए। चाय में दूध की मात्रा अधिक तथा चायपत्ती की मात्रा कम करके भी चाय के विषैलेपन को कम किया जा सकता है। अनिद्रा, यकृत रोगी, वायु के रोगी, अम्लपित्त रोगी तथा पाचन रोग से संबंधित रोगियों को चाय का सेवन नहीं करना चाहिए।

चाय में थोड़ी मात्रा में विटामिन ‘बी’ तथा प्रोटीन पाया जाता है परन्तु इन दोनों तत्वों की मात्रा इतनी कम होती है कि ये तत्व अपना अच्छा प्रभाव नहीं छोड़ पाते हैं। त्वचा में खुश्की आना, त्वचा का सख्त होना, खुजली होना आदि चाय का ही दुष्परिणाम है। चायपत्ती को एक -डेढ़ मिनट से अधिक उबालने पर उसमें टैनिन की मात्रा प्रति उबाल के साथ बढ़ती जाती है, इसीलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ घर की बनी चाय की तुलना में होटल की बनी चाय को कहीं अधिक विषाक्त मानते हैं।

चाय से रक्तक्षीणता बढ़ती है। यकृत कमजोर होता है तथा वीर्य को पतला करती है। गठिया रोग से पीडि़त व्यक्तियों के लिए भी चाय हानिकारक होती है, क्योंकि चाय से पेशाब में यूरिक एसिड बढ़ता है जिससे जोड़ों पर सूजन आ जाती है।

चाय के दुष्प्रभाव से बचने के लिए घर से बाहर बाजार में यथासंभव चाय नहीं पीनी चाहिए। यदि किसी का विशेष आग्रह ही हो तो आधे कप से अधिक चाय कदापि न लें। चाय के साथ बिस्कुट या नमकीन इत्यादि कुछ हल्का खाद्य पदार्थ अवश्य लें। चाय को अधिक गरम या बड़े-बड़े घूंट भरकर पीना भी हानिकारक है।

चाय की आदत छोडऩे के लिए जरूरी है कि आप स्वयं तो चाय कम पिएं, साथ ही दूसरों को भी चाय पीने का अति आग्रह न करें। यदि शिष्टाचारवश आगंतुक को कुछ देना ही हो तो लस्सी, शर्बत, शिकंजी या गरम दूध पीने को दें। इससे आपका अपना स्वास्थ्य तो ठीक रहेगा ही, अपने मित्रा तथा रिश्तेदारों के स्वास्थ्य की रक्षा भी आप सजगता से कर सकेंगे।

यदि चाय की आदत छोडऩा संभव न हो तो चाय की मात्रा कम करने के प्रति जागरूक रहना जरूरी है। यदि चाय की लत छोडऩा चाहें तो धीरे-धीरे चायपत्ती की मात्रा कम करते हुए दूध की मात्रा बढ़ाते जाना चाहिए। चाय पीने से कोई लाभ नहीं है बल्कि कई गुना अधिक हानियां हैं, अत: स्वास्थ्य रक्षा के लिए जरूरी है कि आप चाय से परहेज करें।
– आनंद कुमार अनंत

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