यदि किसी के गुर्दे में पथरी हो जाती है तो उसे इसका अहसास होते देर नहीं लगती। इसका दर्द भयंकर शूल की तरह चुभने वाला और असहनीय होता है।
इस रोग के साथ परेशानी यह है कि यदि किडनी में एक स्टोन बन जाता है तो दूसरा-तीसरा भी जल्दी ही बनने की संभावना रहती है, इसलिए गुर्दे में पथरी का पता चलते ही कुछ एहतियाती उपाय तुरंत शुरू कर देने चाहिएं जिससे और पथरियों को बनने से रोका जा सके।
किडनी स्टोन बनने के सभी मूल या आवश्यक तत्व मूत्र में मौजूद रहते हैं-फास्फेट, यूरिक एसिड, कैल्शियम तथा आक्जलेट आदि। आक्जलेट ऐसा यौगिक है जो लगभग हर फल, सब्जी व अन्न में मौजूद होता है।
सामान्यत: ये सभी तत्व बिना किसी परेशानी के और अघुलनशील अवस्था में यंू ही मौजूद रहते हैं लेकिन जैसे ही इनमें से किसी एक यौगिक की मात्र बढऩे लगती है तो वह समूचा संतुलन गड़बड़ा सकता है। इससे छोटे-छोटे क्रिस्टलन में स्टोन बनने लगते हैं।
कभी-कभी कुछ इक्का-दुक्का स्टोन किडनी में रह जाते हैं और बढऩे के साथ किडनी को नुकसान पहुंचाने लगते हैं लेकिन आमतौर पर ये स्टोन मूत्र को किडनी से ब्लैडर तक ले जाने वाली मूत्र वाहिनी में आ जाते हैं। इससे मूत्र में रूकावट होने से एक दबाव बनता है और बहुत तेज दर्द होता है।
सामान्यत: ये स्टोन 72 घंटे में मूत्र के साथ विसर्जित हो जाते हैं पर जो बाहर नहीं आ पाते, उनके लिए इलाज की लंबी प्रक्रि या होती हैं। समुचित परीक्षणों के बाद लिथोट्रिप्सी तथा यूरेटरोस्कोपी आदि तकनीकों से इन्हें निकालते हैं।
किडनी स्टोन से बचने का बेहतरीन उपाय है पानी और तरल पदार्थों का सेवन, विशेषकर गर्मी के मौसम में। तरल पदार्थ मूत्र को पतला कर देते हैं जिससे स्टोन निर्माता तत्व जम नहीं पाते और सामान्यत: पथरी बढऩे व बनने से बचाव हो जाता है।
अत: दिन भर में 8 से 12 गिलास तरल पदार्थ व पानी पीना बहुत लाभकारी रहता है। किडनी स्टोन से संबंधित एक तथ्य का उल्लेख यहां जरूरी है, वह यह कि पहले एक भ्रांति थी कि कैल्शियम वाली खुराक के कारण यह परेशानी होती है लेकिन यह तथ्य ठीक नहीं है, अत: डॉक्टर कम नमक खाने तथा खूब फल सब्जी खाने की सलाह देते हैं।
इसके अलावा रेशायुक्त अनाज, जौ, बाजरा, ज्वार, लोबिया तथा काला चना आदि का सेवन भी बहुत उपयुक्त रहता है।
– पुष्पा श्रीवास्तव