पटना। महात्मा गांधी से जब किसी ने पूछा कि दुनिया का सबसे कठिन कार्य क्या है, तो उन्होंने उत्तर दिया, “किसी व्यक्ति को क्षमा करना।” यह एक ऐसा कार्य है जिसे केवल सबसे शक्तिशाली व्यक्ति ही कर सकता है, और इस शक्ति का एकमात्र स्रोत शिक्षा है। शिक्षा से बड़ा कोई दूसरा स्रोत नहीं हो सकता, क्योंकि यह एक ऐसा तत्व है जो बांटने से बढ़ता है।
महात्मा गांधी की 155वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में गांधीजी के इस विचार की व्याख्या करते हुए, देश के प्रसिद्ध स्पोकन इंग्लिश इंस्टीट्यूट, ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक और प्रबंध निदेशक, डॉ. बीरबल झा ने कहा, “महात्मा गांधी का सम्पूर्ण जीवन हमारे लिए प्रेरणा है।”
कार्यक्रम में शामिल छात्रों को संबोधित करते हुए, कई पुस्तकों के लेखक डॉ. झा ने कहा, “महात्मा गांधी ने देश की आजादी के लिए जिन अस्त्रों का उपयोग किया, वह विश्व के इतिहास में एक नई परिभाषा है।” सत्य, अहिंसा, त्याग, व्रत और सादगी जैसे गांधीजी के अस्त्रों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “जब गांधीजी इन सबका उपयोग कर रहे थे, तब अधिकांश लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाया। लेकिन समय ने सिद्ध कर दिया कि यही अस्त्र सबसे महत्वपूर्ण थे।”
सेलिब्रिटी ऑथर डॉ. झा ने आगे कहा, “गांधीजी ने अपने विचारों को कभी भी अपने अनुयायियों पर नहीं थोपा। वे खुद जीकर प्रेरणा देते रहे और ‘बापू’ कहलाए।” चम्पारण सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, खेड़ा सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आन्दोलन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “इन सभी आंदोलनों में राष्ट्रपिता के व्यक्तित्व के विभिन्न रूप प्रकट हुए।”
ब्रिटिश लिंग्वा द्वारा इस अवसर पर बिहार लोकसेवा आयोग के सदस्य प्रोफेसर अरुण कुमार भगत को “महात्मा गांधी नेशनलिज्म एंड जर्नलिज्म अवार्ड—2024”, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर नागेंद्र कुमार झा को “महात्मा गांधी शिक्षा शिरोमणि अवार्ड—2024”, और पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री पवन चौधरी को “महात्मा गांधी लीगल एक्सीलेंस अवार्ड—2024” से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर संस्थान के छात्रों के बीच महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम जैसे भाषण प्रतियोगिता और क्विज का सफल आयोजन किया गया।