अमरावती। शिवसेना-यूबीटी अध्यक्ष और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह दोहराते हुए कि ‘शिवसेना’ उनकी पार्टी का नाम है, चुनाव आयोग (ईसी) के पास इसका नाम बदलने का कोई अधिकार नहीं है।
सोमवार दोपहर में मीडिया से बात करते हुए ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग किसी पार्टी को चुनाव चिन्ह आवंटित कर सकता है, लेकिन उसके पास किसी राजनीतिक पार्टी का नाम बदलने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘शिवसेना’ नाम उनके दादा केशव सीताराम ठाकरे उर्फ प्रबोधनकर ठाकरे ने दिया था और वह किसी को भी इसे ‘चुराने’ की इजाजत नहीं देंगे।
जून 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले एक धड़े के बाहर चले जाने और फिर उसी महीने भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार बना लेने से शिवसेना अलग हो गई थी। इस साल फरवरी में चुनाव आयोग ने पार्टी में विभाजन को औपचारिक रूप दिया था और सीएम शिंदे के नेतृत्व वाले अलग गुट को ‘शिवसेना’ नाम और उसका निशान ‘धनुष-बाण’ दे दिया था।
चुनाव आयोग के अंतरिम आदेश में ठाकरे गुट को एक संशोधित नाम ‘शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ और निशान ‘जलती मशाल’ आवंटित किया गया था।
ठाकरे ने गरजते हुए कहा, “भारत निर्वाचन आयोग किसी राजनीतिक दल का नाम कैसे बदल सकता है? मैं पार्टी और उसके नाम को चुराने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं करूंगा।”
यह मुद्दा फिर से गरमा गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में 31 जुलाई को शिवसेना-यूबीटी की याचिका पर सुनवाई होने की उम्मीद है, जिसमें पार्टी के नाम और चिह्न पर चुनाव आयोग के फरवरी के आदेश को चुनौती दी गई है।
याचिका में दलील दी गई है कि शिवसेना बनाम शिवसेना मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 11 मई के फैसले के मद्देनजर चुनाव आयोग का आदेश पूरी तरह से अवैध है। याचिका में कहा गया है कि चूंकि चुनाव आने वाला है, इसलिए शिंदे गुट अवैध रूप से मूल पार्टी के नाम और प्रतीक का उपयोग कर रहा है, इसलिए याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की गई है।