Thursday, January 23, 2025

शहरी क्षेत्र में परिवार कल्याण समेत अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सुदृढ़ व गुणवत्तापूर्ण बनाने पर जोर

गाजियाबाद। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से शहरी क्षेत्र में परिवार कल्याण समेत अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सुदृढ़ व गुणवत्तापूर्ण बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग के नेतृत्व में द चैलेंज इनिशिएटिव (टीसीआई) व पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (पीएसआई इंडिया) के सहयोग से स्थानीय एक निजी होटल में बैठक हुई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अखिलेश मोहन की अध्यक्षता में हुई बैठक में शहरी क्षेत्र में परिवार कल्याण कार्यक्रमों व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं में निजी अस्पतालों और निजी चिकित्सकों की अहम भूमिका पर चर्चा हुई।

बैठक में जनपद के 25 निजी अस्पतालों से 23 प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने भाग लिया। बैठक में प्रसूति एवं स्त्री रोग सोसायटी (फेडरेशन ऑफ़ ऑब्सटेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया) गाजियाबाद की उपाध्यक्ष डॉ. मनीषा अग्रवाल, एसीएमओ (आरसीएच) डॉ. अमित विक्रम भी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जनपद के नगरीय निजी क्षेत्र की हेपेटाइटिस, नियमित टीकाकरण, मातृ शिशु स्वास्थ्य की रिपोर्टिंग स्थिति और जन्म खुराक की रिपोर्टिंग साझा की और उसमें सुधार का सन्देश दिया। इसके साथ ही सभी स्वास्थ्य संकेतकों की रिपोर्ट हेल्थ मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) पोर्टल पर समय से साझा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। बैठक उपस्थित चिकित्सकों से कहा कि स्वास्थ्य कार्यक्रमों को और बेहतर बनाने के लिए निजी सेवा प्रदाताओं की अधिक भागीदारी की आवश्यकता है।

सीएमओ ने कहा कि परिवार नियोजन (बास्केट ऑफ़ च्वाइस) से संबंधित आईईसी सामग्री (पोस्टर-बैनर) को निजी चिकित्सालयों में निर्धारित स्थान पर प्रदर्शित किया जाए और काउंसिलिंग के दौरान उनका इस्तेमाल किया जाए। पीएसआई इंडिया की कार्यक्रम प्रबन्धक कोमल और महाप्रबन्धक निजी क्षेत्र नवीन बंसल ने प्रसव पश्चात परिवार नियोजन सेवाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि निजी अस्पतालों के उच्च प्रभावी हस्तक्षेप, प्रसवोत्तर परिवार नियोजन सेवाओं से जोड़ने, क्षमता निर्माण और आंकड़ों के संग्रह पर जोर दिया जाए ताकि योजनाओं के निर्माण में उनका सही इस्तेमाल किया जा सके। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) चार और पांच के आंकड़ों पर तुलनात्मक चर्चा भी हुई।

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