नई दिल्ली। भारतीय सशस्त्र बलों ने समुद्र और विमान में फंसे लोगों को बचाने का एक महत्वपूर्ण अभ्यास किया है। यह अभ्यास शुक्रवार तक केरल के कोच्चि में आयोजित किया गया। भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के अभ्यास में नौसेना, भारतीय वायु सेना और बंदरगाह प्राधिकरण भी शामिल हुए। आपातकालीन बचाव अभ्यास में एक यात्री विमान दुर्घटना की ड्रिल भी शामिल थी। इसमें 250 यात्रियों को ले जा रहे एक विमान को गंभीर तकनीकी विफलता का सामना करना पड़ा। हवाई यातायात नियंत्रण से विमान का संपर्क टूट गया।
कोच्चि के उत्तर-पश्चिम में विमान लगभग 150 समुद्री मील दूर रडार से गायब हो गया। इसके बाद एक समन्वित सामूहिक बचाव अभियान (एमआरओ) तुरंत शुरू किया गया, जिसमें भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के जहाज और विमान, कोचीन बंदरगाह प्राधिकरण के टग्स, तीन जल मेट्रो, कोच्चि जल मेट्रो से एक गरुड़ शामिल थे। यहां केरल राज्य प्रशासन की जल एंबुलेंस सहित संसाधनों की निर्बाध तैनाती का प्रदर्शन भी किया गया। पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय तटरक्षक बल एक अग्रणी समुद्री एजेंसी के रूप में उभरा है।
यह एक मजबूत समुद्री खोज और बचाव के बुनियादी ढांचे के निर्माण के भारत के प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है। विभिन्न हितधारकों के साथ लगातार सहयोग करके, भारतीय तटरक्षक बल समुद्री सुरक्षा और संरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो वैश्विक मंच पर एक विश्वसनीय और सक्रिय समुद्री भागीदार के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को मजबूत करती है।
भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने 28 और 29 नवंबर को कोच्चि तट पर यह 11वां राष्ट्रीय समुद्री खोज और बचाव अभ्यास आयोजित किया। आईसीजी महानिदेशक परमेश शिवमणि ने इसकी समीक्षा की। इस अभ्यास के तहत पहले दिन टेबल-टॉप अध्ययन, कार्यशालाएं और सेमिनार सहित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें सरकारी एजेंसियों, मंत्रालयों और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों, विभिन्न हितधारकों और विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
दूसरे दिन यानी 29 नवंबर को कोच्चि तट पर बड़े पैमाने पर आकस्मिकता-संबंधी समुद्री अभ्यास आयोजित किया गया। इसमें विभिन्न एजेंसियों के जहाजों और विमानों ने भाग लिया। प्रमुख ऑपरेशनों के तहत भारतीय वायु सेना के विमान और भारतीय तटरक्षक जहाजों ने एक लाइव बेड़ा लॉन्च किया। उन्नत हल्के हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके यात्रियों को निकालने का प्रयास किया गया। जीवन रक्षक उपकरण पहुंचाने के लिए ड्रोन की तैनाती की गई।
इन ऑपरेशनों के सफल निष्पादन ने सशस्त्र बलों के बीच उच्च स्तर के समन्वय और तैयारियों को रेखांकित किया। इस अध्ययन का उद्देश्य एमआरओ के संचालन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं और सर्वोत्तम प्रथाओं पर सहमत होना था। यह आपसी समझ बढ़ाने, सहयोग को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर समुद्री आकस्मिकताओं के प्रबंधन के लिए प्रभावी रणनीतियों को साझा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय समुद्री खोज और बचाव बोर्ड के सदस्यों और 38 प्रतिष्ठित विदेशी पर्यवेक्षकों ने भी भाग लिया।