नयी दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी भाजपा की ओर से पहले मार्शलों का वेतन रोका गया फिर नौकरी से निकाला और अब मार्शलों की पुनः बहाली पर भी अड़ंगा लगा रहे है।
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सुश्री आतिशी ने आज विधानसभा में कहा, “दिल्ली में जब कोई लड़की, कोई महिला पढ़ाई करती है, नौकरी पर जाती है तो डीटीसी बसों में उनके साथ जो दुर्व्यवहार होता है, उसे मैं अच्छी तरह से समझती हूँ। मुझे याद है जब मैं स्कूल जाती थी तो अक्सर स्कूल में एक्स्ट्रा क्लास, स्कूल ट्रेनिंग के लिए छुट्टी के बाद भी रोका जाता था। लेकिन तब तक स्कूल बस तो चली जाती थी तो जो बच्चे यहाँ रुकते थे उन्हें डीटीसी बस से वापस घर जाना होता था। अक्सर लड़कियों के माता-पिता लड़कियों को स्कूल में इसलिए नहीं रुकने देते थे क्योंकि उन्हें भरोसा नहीं था कि उनकी बेटियां सुरक्षित तरीके से घर वापस आ पाएगी।”
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मुख्यमंत्री ने कहा कि, “दिल्ली की लड़कियों का, महिलाओं का भाग्य उस दिन बदला जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बनें। आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली की पहली सरकार नहीं थी लेकिन अरविंद केजरीवाल पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने दिल्ली की महिलाओं का दर्द समझा। पहले किसी सरकार ने यह नहीं सोचा था कि बसों में मार्शल लगाए जाए, बसों में महिलाओं से होने वाली बदतमीजी को रोका जाए लेकिन अरविंद केजरीवाल ने यह सोचा।”
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उन्होंने कहा, “2015 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद हर बस में मार्शल लगाने की प्रक्रिया शुरू की गयी। इस प्रक्रिया में समय लगा लेकिन दिल्ली के हर डीटीसी बस में मार्शल तैनात किए गए।”
उन्होंने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार, उनके उपराज्यपाल वीके सक्सेना और उनके अफसरों ने 2015 से 2023 तक बस मार्शलों की सुचारू चल रही प्रक्रिया में अड़ंगा लगाना शुरू किया। उन्होंने कहा, “मार्च 2023 से बस मार्शलों की तनख्वाह रोक दी गई। अक्टूबर 2023 में उपराज्यपाल ने सभी बस मार्शलों को हटा दिया। उन्होंने दिल्ली की महिलाओं के बारे में नहीं सोचा। दिल्ली की लड़कियों के बारे में नहीं सोचा, 10 हज़ार बस मार्शलों के बारे में नहीं सोचा कि उनका क्या होगा।”
उन्होंने कहा कि, “मैं बस मार्शलों को दाद देना चाहती हूँ कि उपराज्यपाल के न मानने के बाद भी नौकरी जाने के बाद भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पिछले एक साल से लगातार सड़कों पर संघर्ष किया है। इन बस मार्शलों के संघर्ष में आम आदमी पार्टी के विधायकों ने और दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने साथ दिया। जो कंधे से कंधा मिलाकर बस मार्शलों के संघर्ष में उनके साथ रहे। इन्होंने बस मार्शलों के साथ डंडे खाए, गिरफ्तार हुए लेकिन बस मार्शलों का साथ नहीं छोड़ा। दिल्ली सरकार न सिर्फ़ इन 10,000 लड़के-लड़कियों को रोजगार देना चाहती है बल्कि महिलाओं को सुरक्षा भी देना चाहती है।”