मेरठ। माह ए मुहर्रम का आगाज हो गया है। अजाखानों में फर्शे अजा बिछ गईं। अजादारों की आंखे नम हो गईं। उर्दू कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम की 10 तारीख करबला में इमाम हुसैन अ.स. ने अपने 72 साथियों के साथ इस्लाम धर्म को बचाने के लिए शहादत दी थी। शहादत देने वालों में 6 माह का बच्चा अली असगर भी शामिल था।
इसी की याद में मुहर्रम मनाया जाता है। रविवार को आसमान में मुहर्रम का चांद नजर आते ही फिज़ा में गम की उदासी छा गई। महिलाओं ने अपने गहने, चूड़ियां उतार दी और काले लिबास पहनकर शोहदाए करबला के ग़म का आगाज़ किया। पुरूषों और बच्चों ने भी काले लिबास पहन लिए। शहर के अलग-अलग हिस्सों में इमाम बारगाहों और अजाखानों में अलम ए मुबारक, ताज़िये और ज़री सजा दिए गए। इसी के साथ मजलिसों का सिलसिला शुरू हो गया।
मुहर्रम की तैयारियों को लेकर थाना प्रभारियों ने मोहर्रम कमेटियों व जुलूसों के प्रबंधकों के साथ बैठक की। थाना प्रभारियों ने मुहर्रम के जुलूसों के स्थान व रूट का निरीक्षण किया। मुहर्रम कमेटी के मीडिया प्रभारी अली हैदर रिज़वी ने बताया कि यौम ए आशूरा 10 मुहर्रम 17 जुलाई को होगा।