वाराणसी। जिले में ज्ञानवापी सहित अन्य मस्जिदों में कड़ी सुरक्षा के बीच अकीदत व एहतराम के साथ अलविदा की नमाज पढ़ी गई। नमाज के बाद इमाम ने जब पढ़ा ‘अलविदा, अलविदा या शहरे रमजान…..’ तो नमाजियों की आंखें मुकद्दस रमजान के बीत जाने के गम में छलक उठीं। खुदा की बारगाह में रोजेदारों ने अपने तमाम गुनाहों की माफी मांगी। नमाज के बाद रोजेदारों ने खुदा से घर परिवार,कारोबार,समाज, देश में अमन-चैन और तरक्की की दुआएं मांगी।
मस्जिद के इमामों ने रुखसत हो रहे रमजान को लेकर तकरीर की। कहा कि खुशनसीब हैं हम सब कि परवरदिगार ने इस मुकद्दस माह अता फरमाया। इसके पहले रमजानुल मुबारक के आखिरी अशरा के जुमे पर अलविदा की नमाज को लेकर रोजेदारों में सुबह से ही उत्साह दिखा। नदेसर जामा मस्जिद, लंगड़े हाफिज मस्जिद नई सड़क, शिया जामा मस्जिद दारानगर, लाट सरैया मस्जिद के अलावा पुलिस लाइन, अर्दली बाजार, दोषीपुरा, मुकीमगंज, बड़ी बाजार, पीलीकोठी, दालमंडी, हड़हा सराय, मदनपुरा, रेवड़ी तालाब, बजरडीहा आदि इलाकों की मस्जिदों में भी नमाज पढ़ी गई।
अजान के बाद सभी मस्जिदें नमाजियों से भर गई थीं। भीड़ ज्यादा होने के कारण काफी संख्या में नमाजियों को दूसरी मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए जाना पड़ा। मस्जिदों में नमाजियों के लिए वजू के लिए इंतजाम किया गया था। मस्जिद कमेटियों की ओर से दरी, चटाई, शामियाना, पानी की भी व्यवस्था की गई थी। अलविदा की नमाज के बाद तकरीर में उलेमाओं ने रमजान की फजीलत बयान की। कहा कि ईद की नमाज के पहले हर मोमिन सदका-ए-फित्र की रकम गरीबों को दे। ईद की नमाज के पहले-पहले यह रकम अदा हो जानी चाहिए। जिससे गरीब व यतीम भी अपनी ईद मना सकें।