सांबा। जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले के किसानों ने पारंपरिक खेती को छोड़कर पॉली हाउस फार्मिंग अपनाई है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। कृषि विभाग की इस पहल के परिणामस्वरूप किसानों को न केवल अधिक फसलें मिल रही हैं, बल्कि उनकी आय भी कई गुना बढ़ गई है। पॉली हाउस फार्मिंग एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें फसलों को प्लास्टिक शीट से ढके गए संरक्षित वातावरण में उगाया जाता है। इस विधि से फसलें बाहरी मौसम के प्रतिकूल प्रभाव से बची रहती हैं।
इसके चलते किसानों को सालभर उत्पादन प्राप्त हो सकता है। सांबा जिले की सीमावर्ती तहसील रामगढ़ के स्वांखा गांव के किसान अर्जुन सिंह ने बताया कि पॉली हाउस फार्मिंग अपनाने के बाद उनकी आय में काफी वृद्धि हुई है। अब वे सालभर सब्जियों और फूलों की खेती कर बाजार में बेहतर दाम पर बेच रहे हैं। कृषि विभाग ने इस योजना के तहत किसानों को पॉली हाउस स्थापित करने के लिए 95 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की है। इसके अलावा, उन्हें तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण भी दिया गया है। इस सहायता से प्रेरित होकर जिले के अन्य किसान भी इस उन्नत तकनीक को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। इसके तहत उगने वाली सब्जियों से उन्हें करीब 1.5 लाख रुपए का फायदा हुआ है। इसके तहत फसल की प्रोडक्शन भी बहुत अच्छी है।
जिला कृषि अधिकारी मदन गोपाल ने बताया, “पॉली हाउस फार्मिंग से न केवल फसलों का उत्पादन बढ़ा है, बल्कि उन्हें उपज का बेहतर मूल्य भी मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। अर्जुन सिंह की सफलता ने जिले के अन्य किसानों को भी इस तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित किया है।” उन्होंने कहा, “भविष्य में यह तकनीक जिले के कृषि क्षेत्र में एक क्रांति ला सकती है। इसके तहत मैं बहुत खुश हूं और सरकार को धन्यवाद देता हूं। डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर की तरफ से हॉलिस्टिक एग्रीकल्चर डेवलपमेंट प्रोग्राम (एचएडीपी) के तहत करीब 29 कार्यक्रम हैं। इनमें से एक प्रोग्राम सब्जियों को लेकर हैं। इसके तहत हम प्रोटेक्टेड पॉलीहाउस में जुताई करते हैं। यह परियोजना अभी चर्चा का विषय है। हमारे जिले में करीब 10 पॉली हाउस हैं।
“अधिकारी ने आगे बताया, “इसके अलावा करीब 5 से ज्यादा में काम चल रहा है। अगले साल तक हमारे पास 15 के करीब पॉली हाउस होंगे। इस योजना के तहत हमारा उद्देश्य किसानों को एग्री-आंत्रप्रेन्योर बनाना है। किसानों को हमें बिजनेसमैन बनाना है। इसमें इस बात पर फोकस किया गया है कि एक छोटी सी जमीन पर किसान अधिकतम फायदा कैसे ले सकता है। किसान अर्जुन सिंह का यह पहला साल है। इस सीजन में उन्होंने छोटी सी जगह से 40 क्विंटल खीरे की उपज की है। यह खीरे बीज रहित हैं। इसकी कीमत बाजार में आम खीरे से अधिक होती है।”