कानपुर। कम क्षेत्रफल में ही जैविक खेती प्रारम्भ करें ताकि आपको स्वयं के लिये पौष्टिक आहार उपलब्ध हो। बाजार में इसका अच्छा मूल्य मिलता है जिससे आपकी आमदनी में भी वृद्धि होगी।
यह बात शुक्रवार को कानपुर के कृषि भवन परि सर के कृषक सभागार में रबी उत्पादकता गोष्ठी एवं इन सीटू योजना के तहत कृषक जागरूकता गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन ने कही।
उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक कृषि रसायनों एवं उर्वरकों का प्रयोग एवं वायु, जल, मृदा प्रदूषण के फलस्वरूप विविध प्रकार की समस्याएं प्रकाश में आ रही है। उन्होंने कृषकों से जैविक कृषि करने की अपील करते हुए कहा कि कम क्षेत्रफल में ही जैविक खेती प्रारम्भ करें। मृदा परीक्षण कराकर संस्तुति की मात्रा के अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करने के लिये प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि जनपद में डीएपी एवं एन.पी. के. साधन सहकारी समितियों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है यदि किसी को समस्या आती है तो तत्काल कृषि विभाग के अधिकारियों को अवगत करायें।
उन्होंने श्री अन्न फसलों के उत्पादन पर जोर देते हुए कहा कि श्री अन्न फसलों का अधिक से अधिक उत्पादन करें ताकि कृषकों की आमदनी में वृद्धि हो सके तथा किसानों को स्वयं पौष्टिक आहार प्राप्त हो सके।
उप कृषि निदेशक अरूण कुमार ने कहा कि जैविक कृषि के माध्यम से कृषि उत्पादन को स्थायित्व प्रदान किया जा सकता है। परंपरागत स्रोतों के उपयोग से कृषि उत्पादों की गुणवत्ता एवं उत्पादकता में वृद्धि होगी, साथ ही साथ कृषकों की आय में भी वृद्धि होगी। उन्होंने गोष्ठी में किसानों से पराली जलाने से होने वाली हानियों के सम्बन्ध में भी कृषकों को अवगत कराया।
उन्होने इन-सीटू योजनान्तर्गत अनुदान पर उपलब्ध कराये जाने वाले यंत्रों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी तथा बताया कि इन यंत्रों का उपयोग कर किसान फसल अवशेष को खेत में ही मिला सकते हैं तथा पराली प्रबंधन हेतु वेस्ट डिकंपोजर का भी उपयोग कर सकते है।
मेले में कृषि बीज,कृषि रक्षा,मृदा परीक्षण, रेशम, उद्यान, नेडा, इफको, जैविक खेती आदि पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर के स्टॉल लगाये गये। गोष्ठी में जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से आये कृषकों ने साहित्य प्राप्त कर तकनीकी जानकारी प्राप्त की।
गोष्ठी में चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के वैज्ञानिक डा. संजीव कुमार सिंह, डा. प्रिया वशिष्ट, डा. आई.एन. शुक्ला, डा. इन्द्रपाल सचान ने कृषि की नवीनतम तकनीक की जानकारी कृषकों को दी तथा वैज्ञानिकों द्वारा कृषकों द्वारा उठाये गये कृषि तकनीकी समस्याओं का समाधान भी किया।