अहमदाबाद। विदेश की डॉ बर्ग कंपनी की विटामिन डी-3और के-2 कैप्सूल के नाम पर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का मामला उजागर हुआ है। पुलिस ने अज्ञात लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की है। यह कैप्सूल ई-कॉमर्स प्लेटफार्म अमेजन पर बेचा जा रहा था। इन विटामिन की गोलियों की जांच में इसमें विटामिन के बजाय स्टार्च मिलने से पुलिस भी चौंक गई। मामले का पर्दाफाश खुद पुलिस ने ग्राहक बनकर किया। अब आरोपितों की सरगर्मी से तलाश की जा रही है।
अहमदाबाद शहर क्राइम ब्रांच के पीआई एस जे जाडेजा ने डीसीबी पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई है। इसके अनुसार ऑनलाइन शॉपिंग एप्लिकेशन अमेजन पर डॉ बर्ग कंपनी की विटामिन डी-3 और के-2 कैप्सूल में विज्ञापन और लेबल पर दर्शाए गए कंटेंट के बदले अन्य दूसरी सामग्री भरकर ग्राहकों के साथ ठगी की गई है। इसस लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है। कैप्सूल की अहमदाबाद के फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (एफएसएल) में जांच कराई गई तो इसमें विटामिन के बदले स्टार्च मिला। इस कैप्सूल के खाने से आंत और पाचन क्रिया को व्यापाक रूप से हानि पहुंच सकती है। साथ ही हड्डी भी कमजोर हो सकता है। जांच के लिए पुलिसकर्मी ने डॉ बर्ग कंपनी की विटामिन डी-3 और के-2 की एक बोतल में 60 कैप्सूल वाली 2 बोतल का ऑर्डर किया था।
हेड कांस्टेबल नटवरसिंह चावडा के घर के पते पर कैप्सूल का पार्सल मंगवाया गया। बाद में कैप्सूल की जांच एफएसएल में कराई गई। जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि डॉ बर्ग कंपनी की विटामिन डी-3 और के-2 लेबलवाली दोनों बोतल में कैप्सूल के अंदर विटामिन नहीं है। जबकि दोनों कैप्सूल में स्टार्च की मौजूदगी पाई गई। विशेषज्ञ डॉक्टर के अनुसार मरीज के कई तरह की जांच के बाद विटामिन डी-3 की किसे जरूरत इसके बारे में जानकारी मिलती है। सामान्य रूप से हड्डी में कैल्सियम की मात्रा कम होने पर डी-3 कैप्सूल दिया जाता है।
जबकि विटामिन के-2 आमतौर पर व्यस्कों को जरूरत नहीं पड़ती है। आंत खुद ही गुड बैक्टेरिया का संचार करता है। छोटे बच्चों की आंत में गुड बैक्टरिया नहीं होता है, इसलिए उन्हें यह कैप्सूल कई केस में दिया जाता है। मिलावटी विटामिन की गोलियों से हड्डी के कमजोर होने के साथ आंत और पाचन क्रिया प्रभावित होती है।