नई दिल्ली। भारतीय रेल को दुनिया के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक माना जाता है, जिसमें कुल 12 लाख 30 हजार से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें से एक लाख 13 हजार से अधिक महिला कर्मचारी हैं, जो रेलवे के संचालन में अहम भूमिका निभा रही हैं। महिला कर्मचारियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और यह एक सकारात्मक संकेत है कि महिलाओं ने रेलवे जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिलाओं को कई क्षेत्रों में प्रोत्साहन और समर्थन मिला है, और भारतीय रेलवे भी इस बदलाव से अछूता नहीं है। महिलाओं ने रेलवे के कई जटिल कार्यों को सफलतापूर्वक अपनाया है। खासकर, लोको पायलट, ट्रेन मैनेजर और रेलवे सुरक्षा बल जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों में महिलाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। साल 2014 में भारतीय रेलवे में महिला कर्मचारियों का अनुपात केवल 6.6 फीसदी था, जो अब 2024 तक बढ़कर 8.2 फीसदी हो गया है। इस वृद्धि से यह स्पष्ट होता है कि महिला कर्मचारी रेलवे के विभिन्न कार्यों में अपनी मेहनत और समर्पण से महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। वर्तमान में भारतीय रेलवे में 2,162 महिला लोको पायलट सेवा में हैं, जो ट्रेनों के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
इसके अलावा, 794 महिला ट्रेन मैनेजर (गार्ड) भी विभिन्न ट्रेनों में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं। रेलवे के स्टेशन मास्टर के पद पर भी 1,699 महिलाएं कार्यरत हैं, जो भारतीय रेलवे के विभिन्न स्टेशनों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारतीय रेलवे के कार्यालयों में 12,362 महिलाएं कार्यरत हैं, जबकि 2,360 महिला सुपरवाइजर और 7,756 महिला ट्रैकमैन के रूप में कार्य कर रही हैं। महिला टीटी/सीसी की संख्या 4,446 है। इसके अलावा, देश भर के विभिन्न स्टेशनों पर 4,430 महिलाएं ‘पॉइंट्स मैन’ के रूप में काम कर रही हैं। रेलवे में महिलाओं की सफलता के कई उदाहरण सामने आए हैं। इनमें प्रमुख उदाहरण महाराष्ट्र के माटुंगा रेलवे स्टेशन, न्यू अमरावती स्टेशन, अजनी और राजस्थान के गांधीनगर रेलवे स्टेशन हैं, जहां पूरी तरह से महिलाएं ही स्टेशन का संचालन कर रही हैं। यह न केवल महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह भारतीय रेलवे की समग्र प्रगति और महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।