उदयपुर। बागेश्वर धाम के पीठाधीश पं. धीरेन्द्र शास्त्री पर उदयपुर और राजसमंद में मुकदमा दर्ज करने के विरोध में सोमवार को भी जिला कलेक्ट्रट पर प्रदर्शन हुआ। शनिवार को सर्व हिन्दू समाज ने जिला कलेक्ट्रेट पर दिन भर प्रदर्शन किया था, सोमवार को जनता सेना ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। सभी का कहना है कि पुलिस ने सरकार के दबाव में झूठा मुकदमा दर्ज किया है जिसे तुरंत निरस्त किया जाए और कुम्भलगढ़ में गिरफ्तार किए गए युवाओं पर से भी मुकदमा हटाया जाए।
गौरतलब है कि उदयपुर में 23 मार्च को भारतीय नववर्ष के समारोह के तहत आयोजित धर्मसभा में पं. धीरेन्द्र शास्त्री ने कुम्भलगढ़ में हरे झंडों को हटाने और भगवा झंडे लहराने की बात कही थी। इसे लेकर पुलिस ने अगले ही दिन कुम्भलगढ़ जा रहे युवाओं को कुम्भलगढ़ पर भगवा झंडा फहराने के आरोप में गिरफ्तार किया। हालांकि, शनिवार को उन युवकों को जमानत मिल गई। लेकिन, युवकों ने अपने वीडियो बयान जारी कर यह कहा है कि पुलिस ने उन पर झूठा मुकदमा दर्ज किया। उन्हें कुम्भलगढ़ से काफी पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया और उनकी गाड़ी में शोभायात्रा के जो झण्डे पड़े थे उन्हें जब्त बता दिया। उनके साथ पुलिस ने हिरासत में मारपीट भी की। उन्होंने अपने बयान में यहां तक कहा है कि उन्हें पिस्टल की नोंक पर धमका कर बयान पुलिस के अनुसार देने को कहा गया। युवकों का कहना है कि वे कुम्भलगढ़ यह देखने जा रहे थे कि वहां हरे झंडे कहां लगे हैं।
जनता सेना की ओर से एसपी को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि कुम्भलगढ़ में हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमणों को ध्वस्त किया जाना चाहिए। जनता सेना जिलाध्यक्ष दिनेश श्रीमाली ने कहा कि पं. धीरेन्द्र शास्त्री कुंभलगढ़ दुर्ग में कई समय से हो रहे अतिक्रमण को हटाने के संदर्भ में यह बात कही थी। यह किसी तरह से गलत नहीं है। उन पर भ़ड़काऊ बयान का मामला दर्ज करना उन्हें जबरन फंसाने का षडयंत्र प्रतीत होता है। जनता सेना के पदाधिकारियों ने मुकदमे को खारिज नहीं करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।