सहारनपुर। एडीजे महेश कुमार ने युवा अधिवक्ता कर्मवीर छाबड़ा की नृशंस हत्या के मामले में भूपेंद्र सिंह बतरा, उसके बेटे गुरूप्रताप, भाई अमरजीत सिंह, भतीजे गुरनीत और गुरमीत सिंह को फांसी की सजा सुनाई है। पांचों को जिला कारागार ले जाया गया। मानसिक तनाव से बचने के लिए उन्हें जेल के अस्पताल में रखा गया है।
फांसी की सजा की फाइल हाईकोर्ट भेजी जाएगी। उसके बाद ही उचित कानूनी कार्रवाई होगी। सरकारी वकील विक्रम सिंह वर्मा ने यह जानकारी दी। इस मामले में फांसी की सजा का आधार सात बिंदु बने कोर्ट के मुताबिक अधिवक्ता कर्मवीर छाबड़ा की अच्छी छवि थी और उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा भी दी थी। कर्मवीर छाबड़ा की पत्नी और बेटी उन पर आश्रित थी। सजा पाए पांचों दोषियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति अच्छी है।
अधिवक्ता की हत्या के बाद इसका समाज पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा। लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा हुई। हत्या बहुत ही निर्मम तरीके से की गई थी। इसका प्रभाव सबसे ज्यादा पीड़ित परिवार पर पड़ा। कर्मवीर छाबड़ा के पिता सतपाल छाबड़ा और परिजनों ने हत्यारों को फांसी की सजा सुनाए जाने पर संतोष जताया।
बोले कि वे पुरानी बातों को याद नहीं करना चाहते। पटेल नगर निवासी सतपाल छाबड़ा के परिवार में उनकी पत्नी, छोटा बेटा, पुत्रवधु और उनकी बेटी है। छोटा बेटा ईस-चरण सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता है।