नई दिल्ली। भारत के फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस सेक्टर ने 2024 में 12.4 मिलियन वर्ग फीट (एमएसएफ) का अब तक का उच्चतम सकल लीजिंग वॉल्यूम (जीएलवी) दर्ज किया है। सोमवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। कुशमैन एंड वेकफील्ड के ऑफिस डेटा के अनुसार, फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस सेक्टर के ऑल-टाइम हाई ग्रॉस लीजिंग वॉल्यूम पर पहुंचना इसकी सालाना आधार पर 57.5 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। जो कि प्रमुख शहरों में नए समय के और लागत प्रभावी ऑफिस सॉल्यूशन की बढ़ती मांग को दर्शाता है। फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस सेक्टर में बिजनेस सेंटर, कोवर्किंग सेंटर और मैनेज्ड ऑफिस शामिल हैं। फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस सेक्टर का ग्रॉस लीजिंग वॉल्यूम अब भारत के कुल ऑफिस लीजिंग (89 एमएसएफ) का 14 प्रतिशत है, जो कमर्शियल रियल एस्टेट लैंडस्कैप में इसके बढ़ते महत्व को दिखाता है।
भारत के टॉप फ्लेक्सिबल ऑफिस मार्केट में, बेंगलुरु 3.4 एमएसएफ लीजिंग वॉल्यूम के साथ सबसे आगे है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दोगुना है। इस बीच, मुंबई ने जीएलवी में 3 गुना वृद्धि दर्ज की, जो 1.9 एमएसएफ तक पहुंच गई, जो कि भारत की आर्थिक राजधानी में बढ़ती मांग का प्रमाण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली एनसीआर 2.3 एमएसएफ जीएलवी, हैदराबाद 1.6 एमएसएफ जीएलवी और पुणे 1.6 एमएसएफ जीएलवी के साथ मजबूत फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस हब के रूप में उभरे हैं। कुशमैन एंड वेकफील्ड की प्रबंध निदेशक (बेंगलुरु) और प्रमुख – फ्लेक्स, इंडिया रमिता अरोड़ा ने कहा कि देश में नई कंपनियों (जीसीसी) की एंट्री और मौजूदा कंपनियों द्वारा परिचालन फ्लेक्सिबिलिटी, लागत दक्षता और एंड-टू-एंड कस्टमाइजेशन को प्राथमिकता देने के साथ, डायनैमिक, मैनेज्ड ऑफिस सॉल्यूशन की मांग में वृद्धि जारी है।
आंकड़ों के अनुसार, बदलती व्यावसायिक प्राथमिकताएं, फ्लेक्सिबिलिटी की जरूरत, हाइब्रिड वर्क मॉडल की ओर बदलाव और मैनेज्ड ऑफिस सॉल्यूशन की मजबूत एंटरप्राइज मांग ने लीज पर दी गई फ्लेक्स सीटों में उच्च वृद्धि को बढ़ावा दिया। 2024 में फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस ऑपरेटर से एंड ऑक्यूपायर द्वारा लगभग 224,000 सीट लीज पर ली गईं, जो 2023 की 156,000 सीटों की तुलना में 44 प्रतिशत की वृद्धि है। शहरों के संदर्भ में, 2024 में लीज पर दी गई कुल सीटों में 29 प्रतिशत हिस्सेदारी यानी 64,000 सीटों के साथ बेंगलुरू ने फिर से अपना दबदबा कायम रखा और भारत के लीडिंग फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस मार्केट के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी। बेंगलुरू के बाद पुणे 39,000 सीटों, दिल्ली एनसीआर 38,000 सीटों और मुंबई 28,000 सीटों के साथ क्रमशः 18 प्रतिशत, 17 प्रतिशत और 12 प्रतिशत हिस्सेदार रहे।