Saturday, February 22, 2025

आरआरटीएस कॉरिडोर के पास अवैध कॉलोनियों की बाढ़, कृषि भूमि पर काटी जा रही कॉलोनी

गाजियाबाद। गाजियाबाद  विकास प्राधिकरण पिछले चार माह से अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान चलाए हुए हैं। जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स की सख्ती के बावजूद भी बिल्डर अवैध कॉलोनियों के निर्माण में लगे हुए हैं। गाजियाबाद मेरठ रोड पर आरआरटीएस कॉरिडोर बनने के बाद से इन अवैध कॉलोनियों की बाढ़ सी आ गई है। कोई ऐसा दिन नहीं जब जीडीए के बुलडोजर का रूख अवैध निर्माण की ओर ना हो। लेकिन इसके बाद भी बिल्डरों के हौसले बुलंद हैं। आरआरटीएस कॉरिडोर के आसपास ये अवैध कॉलोनियां काटी जा रही है।
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मजे की बात इन कॉलोनियों में विद्युत विभाग की मिलीभगत से विद्युत संयोजन भी किया जा रहा है। कॉलोनियों में भूखंड और फ्लैट लेने वाले जब विद्युत पोल और बिजली से जगमग कॉलोनी को देखते हैं तो वो ये भूल जाते हैं कि ये अवैध हैं। कम दाम में मिल रहे फ्लैट और भूखंडों को आंख बंदकर खरीद लेते हैं लेकिन बाद में पछतावे के अलावा उनके पास कुछ नहीं बचता है। जीडीए के ध्वस्तीकरण कार्यवाही के दौरान जांच में सामने आया कि इन अवैध कॉलोनियों के खाली भूखंडों पर विद्युत लाइन के साथ ही ट्रांसफार्मर भी रखे हुए मिले।
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आरआरटीएस कॉरिडोर के पास घर और भूखंडों का ऑफर
अवैध कालोनाइजर आरआरटीएस कॉरिडोर के पास घर और भूखंड खरीदने का ऑफर दे रहे हैं। जबसे नमो भारत ट्रेन मेरठ तक संचालित होने लगी है उसके बाद से नियमों को दरकिनार कर इन अवैध कॉलोनियों में लोगों ने भूखंड खरीदें हैं।
आरआरटीएस कॉरिडोर के पास पास घर का ऑफर देते इन कॉलोनियों में नियमों को दरकिनार कर निर्माण कार्य किया जा रहा है। कॉलोनियों में धड़ाधड़ अवैध निर्माण होते गए। जिन पर कार्यवाही को लेकर जीडीए सख्त हुआ। ऐसी कॉलोनी को विकसित होने से रोकने के लिए ही जीडीए ने अब सख्ती दिखाते हुए अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है।
बता दें बाहरी जिलों से लोग बड़ी संख्या में नौकरी की तलाश में गाजियाबाद आते हैं। बढ़ती महंगाई के बीच रहने के लिए किराए का मकान महंगी दरों पर मिलता है। ऐसे में परिवार के साथ आए नौकरी पेशा व्यक्ति इन कालोनाइजर्स के झांसे में आ जाते हैं और इन अवैध कॉलोनियों में सस्ती दरों पर भूखंड या मकान खरीद रहे हैं। हजारों की संख्या में ऐसे लोगों ने अवैध कॉलोनियों में भूखंड और फ्लैट बुक किए हैं। लेकिन जब जीडीए का अभियान शुरू हुआ तो लोगों के होश उड़े हुए हैं। लोग अब बिल्डर पर रकम वापसी का दबाव बना रहे हैं।
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मेरठ रोड पर इन स्थानों पर अवैध कॉलोनियों की बाढ़
आरआरटीएस कॉरिडोर के आसपास जिन जगहों पर अवैध कॉलोनियों तेजी से उभर रही हैं उनमें राजनगर एक्सटेंशन,
मोदीनगर, मुरादनगर के आसपास, गुलधर, मोरटा, हम तुम रोड, असालत नगर, बसंतपुर सैंथली, पाइपलाइन रोड, हिंसाली, मोदीनगर गोविंदपुरी, साई संतपुरा, कादराबाद, रोरी, अबुपुर, हापुड़ रोड, बखरवा मार्ग, बिसोखर रोड, सिकरी खुर्द, तिबडा रोड आदि में देखते ही देखते कृषि भूमि पर अवैध कॉलोनियां काट दी गई है।
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नियम विरूद्ध हो रहे बैनामा
प्रदेश सरकार ने कृषि भूमि पर किसी भी प्रकार के आवासीय परिसर के निर्माण पर रोक लगाई हुई है। आवासीय परिसर के लिए कृषि भूमि के खरीद—फरोख्त पर भी रोक है। लेकिन इसके बावजूद भी बड़े पैमाने पर बिल्डर कृषि भूमि को सीधे किसानों से खरीदकर बैनामा करा रहे हैं। जबकि नियम ये है कि कृषि भूमि को धारा 143 के तहत आवासीय परिसर में बदला जाता है। जिसके बाद ही प्राधिकरण निर्माण को लेकर नक्शा पास करता है। लेकिन बिल्डर सीधे कृषि भूमि में किसानों से खरीदार का बैनामा करा अवैध कॉलोनियों को खड़ा कर रहे हैं।
इससे सरकार को राजस्व और जीडीए को आर्थिक नुकसान हो रहा है। कृषि भूमि को आवासीय परिसर में तब्दील करवाने की प्रक्रिया के तहत एक बीघा पर करीब एक लाख रुपये जमा करना होता है। इसकी एक कॉपी जीडीए में आवासीय परिसर के लिए नक्शा पास कराने के दौरान लगती है। लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है।
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बोले अधिकारी
इस बारे में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अपर सचिव पीके सिंह का कहना है कि अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान में तेजी आई है। इस समय सबसे अधिक फोकस मेरठ रोड पर किया हुआ है। कुछ लोगों के खिलाफ अवैध निर्माण कराने पर मुकदमा भी जीडीए की तरफ से दर्ज कराया गया है।
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