मेरठ। दीपावली के त्योहार को देखते हुए वन्यजीव अभ्यारण क्षेत्र के आसपास सेंक्चुअरि क्षेत्र में मौजूद उल्लू की विशेष पहरेदारी के लिए वन विभाग अलर्ट मोड में आ गया है।
दिवाली पर माना जाता है कि उल्लू की मांग बढ़ जाती है। मोटी कीमत मिलने के लालच में तस्कर उल्लू का शिकार करने जंगलों में पहुंचते हैं। इस वजह से वन विभाग ने इन दिनों हस्तिनापुर पक्षी विहार व अन्य वन्य क्षेत्रों में पहरेदारी बढ़ा दी है।
तंत्रमंत्र के लिए उल्लू की तस्करी की आशंका पर वन विभाग ने आसपास के लोगों और ग्रामीणों को जागरूक किया है। इसके साथ ही उल्लू को मारने और पकड़ने वाले लोगों की सूचना देने के लिए भी कहा है। दिवाली पर उल्लू के अंगों से तंत्र-मंत्र के चलते बाजार में इनके अंगों की कीमत बढ़ जाती है।
बताया जाता है कि उल्लू के नाखून, आंखें, चोंच और पंखों का इस्तेमाल तंत्र-मंत्र के लिए किया जाता है। अमावस्या की रात में तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने का भी अंधविश्वास लोगों में है। उल्लू धन संपदा की देवी लक्ष्मी का वाहन है। ऐसे में हर साल दिवाली पर लोग उल्लू के शिकार की तलाश में ऐसी जगह पहुंचते हैं, जहां यह सबसे अधिक दिखता है।
इसलिए वन विभाग दिवाली पर अलर्ट मोड में आ गया है। हस्तिनापुर वन्य अभ्यारण क्षेत्र में उल्लू की दो प्रजातियां मुआ और घुग्घू पाई जाती हैं। सेंक्चुअरि के घने जंगलों, टीलों की खुदाल, खंडहर और पेड़ों पर इनका दिखना आम बात है।