मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर मे हुए दंगे के मामले में पूर्व विधायक नूर सलीम राणा को सेशन कोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ आरोप तय करने के निचली अदालत के दिये गए आदेश के खिलाफ दोबारा सुनवाई की याचिका स्वीकार कर आदेश पारित किया है।
वहीं पूर्व विधायक को 27 मार्च को सिविल जज सीनियर डिवीजन विशेष एमपी एमएलए कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। गत 27 अगस्त 2013 को कवाल कांड में तीन हत्याओं के बाद सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। दंगे के चलते मुस्लिम समाज के लोगों ने 30 अगस्त 2013 को शहर कोतवाली क्षेत्र के शहीद चौक पर सभा का आयोजन किया था। इस दौरान पुलिस ने पूर्व गृह राज्यमंत्री सईदुज्जमा, तत्कालीन बसपा सांसद कादिर राणा, बसपा विधायक नूर सलीम राणा और मौलाना जमील अहमद कासमी एडवोकेट एवं तत्कालीन सभासद एड असद जमा सहित 10 लोगों के खिलाफ हेट स्पीच सहित अन्य संगीन आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था।
जिसके चलते घटना के मुकदमे की सुनवाई विशेष एमपी एमएलए कोर्ट सिविल जज सीनियर डिविजन मयंक जायसवाल की फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही है। इस मामले में गत 11 जनवरी को कोर्ट ने सभी आरोपियों के विरुद्ध आरोप तय करने के आदेश दिए थे।
पूर्व विधायक नूर सलीम राणा ने आदेश के विरुद्ध जिला जज की अदालत में रिवीजन दायर किया था। जिस पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 3 के जज गोपाल उपाध्याय ने सुनवाई की। अपर जिला जज 3 गोपाल उपाध्याय ने सुनवाई के बाद रिवीजन मंजूर कर ली है। नूर सलीम राणा को 27 मार्च को सिविल जज सीनियर डिवीजन विशेष एमपी एमएलए कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए गए हैं। अदालत द्वारा बचाव पक्ष की दलील सुनने के बाद ही आरोप तय करने पर निर्णय होगा। इससे पहले कोर्ट मामले में आरोपी और पूर्व सांसद सईजुज्जमां की रिवीजन याचिका भी स्वीकार कर चुकी है।